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सड़कों पर आवारा कुत्तों के काटने के मामले पर होगा विचार

                                                      सरकार की नालायकी देख सुप्रीम कोर्ट ले रहा फैसले

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

सरकार की नालायकी देख सुप्रीम कोर्ट ले रहा फैसलेउन्होंने कहा कि एक रिपोर्ट के अनुसार पिछले एक साल में लगभग 37 लाख कुत्तों द्वारा मनुष्यों के काटने की घटनाएं हुई हैं, हजारों-लाखों घायल हुए तथा कुछ मारे भी गए।

कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने इतना ही कहा था कि आवारा कुत्तों के इस संकट से लोगों को बचाने के लिए उनको ठीक जगह आश्रय स्थालों में रखने का प्रबंध किया जाए।यह सुनते ही हजारों कुत्ता प्रेमी सड़कों पर उतर आए और आदेश का विरोध करने लगे। सर्वोच्च न्यायालय विवश हुआ और एक बड़ा खंडपीठ तय किया और अपने पहले ही निर्णय को रोकना पड़ा। उन्होंने कहा कि भारत में गौ माता को पूजा जाता है।

 कई बार भारत के लोगों ने गौ माता को भारत माता का दर्जा देने की मांग भी की है। लेकिन गौ माता बेसहारा पशु बन कर मारे मारे घूमती है और कूड़ा कर्कट खाने पर विवश होती है। सड़कों पर गौवंश यातायात को रोकते हैं, कई बार दुर्घटनाएं भी होती हैं।इस संबंध में भी समाज और सरकार ने कभी गंभीरता से विचार नहीं किया। शांता ने समाज और सरकार से आग्रह किया है कि यह काम सर्वोच्च न्यायालय का नहीं है। भारत के संविधान के अनुसार यह काम सरकार और समाज का है। सभी प्रदेश सरकारें इस विषय पर गंभीरता से विचार करें।

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