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असिस्टेंट प्रोफेसर की सीट को सामान्य श्रेणी से भरने पर सवाल

          केवल एक व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि पूरे दिव्यांग समुदाय के अधिकारों का हनन

काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमालय प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय में दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित असिस्टेंट प्रोफेसर पद की एक सीट को एक सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी को देने का मामला सामने आया है। यह मामला विश्वविद्यालय की विज्ञापन संख्या 001/2019 से संबंधित है, जिसमें समाजशास्त्र विभाग में एक प्राध्यापक को अनुचित लाभ देते हुए दिव्यांग (दृष्टिबाधित) श्रेणी की सीट सामान्य अभ्यर्थी को प्रदान कर दी गई। 

इस अनियमितता के खिलाफ राष्ट्रीय मंच, दिव्यांगजन के अधिकार और कर्तव्य (नेशनल प्लेटफॉर्म फोर पर्सन विद डिसेबिलिटीज राइट एंड ड्यूटीज) के राष्ट्रीय सचिव एवं राज्य प्रभारी डॉ. विजेंद्र शर्मा सहित कई सामाजिक संगठनों और विधि विशेषज्ञों ने इसके विरोध में आवाज उठाई। डॉ. विजेंद्र शर्मा ने इस संबंध में विभिन्न न्याययिक संस्थाओं में शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति के साथ अन्याय नहीं है, बल्कि पूरे दिव्यांग समुदाय के अधिकारों का हनन है। दिव्यांगों के लिए आरक्षित सीटों को अन्य श्रेणी के अभ्यर्थियों को देना आरक्षण नीति का उल्लंघन है और इसे किसी भी हाल में स्वीकार नहीं किया जा सकता।उन्होंने बताया कि दिव्यांगजन अधिकार अधिनियम-2016 और सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित सीटों को किसी अन्य वर्ग में समायोजित नहीं किया जा सकता। बावजूद इसके केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमालय प्रदेश ने इस नियम की अवहेलना करते हुए सामान्य श्रेणी के अभ्यर्थी को अनुचित रूप से लाभ पहुंचाया। हिमाचल प्रदेश दिव्यांगजन राज्य आयुक्त शिमला की अदालत में इस नियुक्ति को लेकर सीयू प्रशासन को सख्त आदेश भी जारी हो चुके हैं। 

डॉ. विजेंद्र शर्मा, विधि विशेषज्ञों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन से जवाबदेही तय करने और भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग भी की।डॉ. विजेंद्र शर्मा ने कहा कि जब विश्वविद्यालय प्रशासन से इस विषय पर प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया। केवल यह कहा गया कि मामले की जांच की जा रही है। राष्ट्रीय मंच दिव्यांगजन के अधिकार और कर्तव्य समेत अन्य दिव्यांग अधिकार संगठनों ने चेतावनी दी कि यदि शीघ्र ही इस मामले का समाधान नहीं हुआ, तो वे उच्च न्यायालय में याचिका दायर करेंगे और दिव्यांगजनों के अधिकारों की रक्षा के लिए व्यापक आंदोलन छेड़ेंगे। यह मामला भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों में दिव्यांगजनों के अधिकारों की सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। यदि संबंधित अधिकारियों द्वारा त्वरित और न्यायसंगत कार्रवाई नहीं की गई, तो यह मामला कानूनी लड़ाई और सामाजिक आंदोलन का रूप ले सकता है।नदी, नालों के नजदीक नहीं बनेंगे शिक्षण संस्थानउधर, इस बारे में केंद्रीय विवि के कुलसचिव नरेंद्र सांख्यान ने कहा कि उन्होंने हाल ही में विवि में ज्वाइन किया है। अगर दिव्यांग कोटे के पद को सामान्य श्रेणी से भरा गया है तो इस संदर्भ में विवि की ओर से सभी जरूरी औपचारिकताओं को पूरा किया होगा। लेकिन फिर भी मामले की जांच के बाद इस बारे पूरी जानकारी दी जाएगी।


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