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पखरोल गांव के पंडित जयराम ‘पेंटर’ गुमनाम सिपाही

                                            सेहरा सजने से चंद पल पहले घर पहुंचे थे अंग्रेज अफसर

हमीरपुर,ब्यूरो रिपोर्ट 

भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में कई ऐसे नाम हैं, जिनका योगदान बेहद अहम रहा, लेकिन इतिहास के पन्नों में उन्हें वह पहचान नहीं मिल पाई, जिसके वे हकदार थे। नादौन के पखरोल गांव के पंडित जयराम ‘पेंटर’ ऐसे ही गुमनाम सिपाही थे, जिन्होंने जलियांवाला बाग नरसंहार से आहत होकर अपना जीवन आजादी की लड़ाई को समर्पित कर दिया।

अपनी पेंटिंग के जरिये उन्होंने आजादी के इंकलाब को मजबूत किया और इस इंकलाब ने उन्हें मशहूर पेंटर भी बना दिया। सन 1900 में जन्मे पंडित जयराम ने प्रारंभिक शिक्षा के बाद व्यापार के साथ-साथ क्रांतिकारी गतिविधियों में हिस्सा लेना शुरू किया। जलियांवाला बाग की घटना के बाद वे और भी सक्रिय हो गए। लाला लाजपत राय की शहादत ने उनके भीतर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आक्रोश और बढ़ा दिया।पढ़ाई छोड़ने के बाद पंडित जयराम पिता ने उनकी शादी तय कर दी। इसमें भी अंग्रेज अधिकारी और सिपाही उन्हें गिरफ्तार नहीं कर सके। इसके बाद वह फिर क्रांति में जुट गए। उन्होंने पंजाब और हिमाचल में गुप्त सभाएं आयोजित कीं, ब्रिटिश सरकार के विरोध में पोस्टर चिपकाए, पर्चे बांटे और युवाओं को आजादी की लड़ाई में कूदने के लिए प्रेरित किया। होशियारपुर, जालंधर, अमृतसर, लाहौर जैसे शहरों में होने वाले क्रांतिकारी सम्मेलनों में उनकी मौजूदगी हमेशा रहती थी।

1926 में उनकी शादी नादौन के ही गांव गौना में दुलंबी देवी से हुई। शादी के उपरांत उन्होंने 1930 में होशियारपुर में हुए पंजाब प्रांतीय सम्मेलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कई बार जेल गए, यातनाएं सहीं, लेकिन संघर्ष से पीछे नहीं हटे। आज़ादी के बाद भी पं. जयराम सामाजिक और राजनीतिक आयोजनों में सक्रिय रहे। उन्होंने कभी अपने लिए बतौर स्वतंत्रतता सेनानी पुरस्कार पाने के प्रयास नहीं किए, बल्कि आजादी के इंकलाब ने उन्हें मशहूर चित्रकार बना दिया।शिमला में अपने परिवार के साथ रहते हुए उन्होंने चित्रकारी को पेशा चुना और उनके नाम के साथ पखरोलवी की बजाय पेंटर जुड़ गया। उनकी बेटी अनिता आईजीएमसी में नर्स के रूप में सेवाएं दे रही हैं। पंडित जयराम का स्वर्गवास 2000 में 100 वर्ष की आयु में हुआ। इतिहासकार प्रोफेसर राकेश शर्मा कहते हैं कि पंडित जयराम ‘पेंटर’ का जीवन त्याग, साहस और देशभक्ति की मिसाल है। उन्होंने चित्रकारी के जरिये लोगों में आजादी की भावना जागृत की थी।


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