किसानों की परेशानियों का आलू में असर
ऊना.ब्यूरो रिपोर्ट
ऊना जिले में इस बार आलू की बिजाई संकट में पड़ गई है। सामान्य परिस्थितियों में सितंबर की शुरुआत में आलू की बिजाई होती है, लेकिन शनिवार और रविवार को हुई भारी बारिश ने खेतों को फिर से पानी से भर दिया। ऐसे में किसानों को अब कम से कम दो सप्ताह और इंतजार करना पड़ेगा।
जिन किसानों ने पहले ही बीज खरीद लिया है, उनके सामने बीज के रखरखाव की बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दूसरी ओर मक्की की अगेती फसल खेतों में ही सड़ने लगी है, जिससे किसानों का घाटा दोगुना हो गया है। जानकारी के अनुसार इस बार आलू की बिजाई का क्षेत्र घटकर आधा रह सकता है। स्वां नदी के आसपास करीब 1000 हेक्टेयर भूमि पानी के कटाव से पूरी तरह खराब हो चुकी है। खड्डों के किनारे वाले खेत भी तेज बहाव से बर्बाद हो गए हैं। खेतों को सामान्य हालात में लौटने में एक माह से अधिक समय लग सकता है। जिन खेतों में थोड़ी बहुत स्थिति ठीक है, वहां भी जलभराव और अत्यधिक नमी ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
बीते सप्ताह वीरवार से शनिवार तक मौसम साफ होने से किसानों में उम्मीद जगी थी। उन्होंने मुर्गी खाद के छिड़काव सहित अन्य तैयारियां शुरू भी कर दीं, लेकिन रविवार तड़के फिर से हुई बारिश ने हालात बिगाड़ दिए और खेत दोबारा जलमग्न हो गए। इधर, मक्की की अगेती फसल पककर तैयार है, मगर लगातार बारिश के कारण किसानों को तुड़ाई का मौका नहीं मिल रहा। जिन किसानों ने फसल काटी भी है, उनके पास रखरखाव की उचित व्यवस्था नहीं है। वहीं, खेतों में खड़ी पारंपरिक मक्की की फसल भी बरसात की मार झेलते हुए नष्ट हो रही है। कुल मिलाकर किसानों को आलू और मक्की दोनों फसलों में भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है और लाखों का घाटा लगभग तय है। जिला कृषि विभाग के उपनिदेशक कुलभूषण धीमान ने बताया कि लगातार बारिश ने मक्की और आलू दोनों फसलों पर प्रतिकूल असर डाला है। आलू का बीज नमी में सड़ जाता है, इसलिए हालात सामान्य होने तक बिजाई संभव नहीं होगी।
0 Comments