किसानों की मुश्किलें बढ़ीं, पशु चिकित्सा सेवाओं पर संकट
ज्वाली,रिपोर्ट राजेश कतनौरिया
प्रदेश में पशुपालकों की जीवनरेखा मानी जाने वाली मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों (Mobile Veterinary Units) की सेवाएं सरकार की बेरुखी के चलते पूरी तरह से ठप हो गई हैं। पिछले 11 महीनों से ऑपरेशनल फंड और वेतन न मिलने के कारण प्रदेश भर के सैकड़ों डॉक्टरों , फार्मासिस्ट व चालक को भी दो महीने से वेतन नहीं मिल पाया है ! वेतन ना मिलने के कारण डाक्टरों, फार्मासिस्ट व चालकों ने मजबूर होकर कार्य बहिष्कार कर दिया है। इसका सीधा असर प्रदेश के हजारों किसानों और पशुपालकों पर पड़ रहा है, जो बीमार या घायल पशुओं के इलाज के लिए पूरी तरह इन इकाइयों पर निर्भर थे।
प्रदेश भर में कार्यरत डा० पंकज शर्मा (बंजार), डा० दीक्षित हनशेरता (रोहडूं), डा० आयुष कश्यप (देहरा), डा० वनीत शर्मा (शाहपुर), डा० जानवी उपाध्याय (पपरोला), डा० सरभाग्या शर्मा (मंडी), डा० विजय कुमार (चुवाड़ी), डा० यशपाल बांसल (नादौन), डा० मनीष बांसल बंगाणा (ऊना ) ,डा० अपूर्वा चौधरी हरोली (ऊना), डा० रक्षित पराशर (केलांग), डा० जगमोहन सिंह (इंदौरा), और डा० शरींखला भारद्वाज (बिलासपुर) सहित कई डॉक्टरों , फार्मासिस्ट व चालकों ने बताया कि बार-बार आग्रह के बावजूद राज्य सरकार ने पिछले दो महीनों से वेतन नहीं दिया, जिससे कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति दयनीय हो गई है !डॉक्टरों का कहना है कि वेतन ही नहीं, बल्कि अन्य बुनियादी सुविधाओं जैसे मेडिकल लीव, वेतन वृद्धि, उचित बैठने की व्यवस्था और फील्ड में इस्तेमाल होने वाली आवश्यक दवाइयों व चिकित्सा उपकरणों की भी भारी कमी है।
कई एम्बुलेंस महीनों से खराब पड़ी हैं और जिनमें काम हो भी रहा था, उनमें ज़रूरी सप्लाई न होने से फील्ड में सेवाएं देना नामुमकिन हो गया है !डॉक्टरों ने यह भी आरोप लगाया कि केंद्र सरकार के निर्देशानुसार उन्हें वेतन और सुविधाएं मिलनी चाहिए थीं, लेकिन राज्य सरकार की अनदेखी के चलते उन्हें न्यूनतम सुविधाओं से भी वंचित रखा गया है। काम की जटिलता लगातार बढ़ती जा रही है, पर सुविधाएं और अधिकार नहीं मिल रहे !मोबाइल पशु चिकित्सा इकाइयों की सेवाएं बंद होने का सबसे बड़ा खामियाजा सीधे तौर पर किसानों और पशुपालकों को भुगतना पड़ रहा है। दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले किसानों के पास न तो निजी संसाधन हैं और न ही विकल्प, जिससे बीमार या घायल पशुओं का समय पर इलाज नहीं हो पा रहा। इससे आर्थिक नुकसान भी बढ़ रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि जब तक दो महीने का लंबित वेतन और अन्य बकाया सुविधाएं पूरी तरह नहीं मिलतीं, वे सेवाओं पर वापस नहीं लौटेंगे। सभी डॉक्टरों ने एक सुर में राज्य सरकार से मांग की है कि उन्हें शीघ्र वेतन भुगतान, चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति, और सुविधाओं का नियमन सुनिश्चित किया जाए।प्रदेश में पशुपालन क्षेत्र की रीढ़ मानी जाने वाली यह मोबाइल इकाई आज स्वयं अपने अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही है। ऐसे में जरूरत है कि सरकार जल्दहस्तक्षेप करे, ताकि डॉक्टरों की सेवाएं फिर से शुरू हों और किसानों को राहत मिल सके। यदि यह संकट लंबा खिंचता है, तो इसका असर पशुधन से लेकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था तक पड़ सकता है।
0 Comments