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महाशा बस्ती पर मंडराया उजड़ने का खतरा

                                                                 40 परिवार बेघर होने की कगार पर

ज्वाली,रिपोर्ट राजेश कतनौरिया 

ग्राम पंचायत सिद्धपुर-घाड़ के वार्ड नंबर एक और वार्ड नंबर पांच की महाशा बस्ती के दर्जनों गरीब परिवार इन दिनों भारी चिंता में हैं। कारण है — उनका आशियाना, जिसे उन्होंने वर्षों की मेहनत और जमा पूंजी से बनाया, अब उजड़ने की कगार पर है।

स्थानीय निवासियों केवल सिंह, नीलम कुमारी, मुकेश कुमार, बलदेव सिंह, राकेश कुमार, प्रकाश चंद, शाम सिंह , पियूंगला देवी और रेखा देवी ने बताया कि वर्ष 1971 में उन्हें सरकार द्वारा बूहल खड्ड के किनारे भूमि के पट्टे आवंटित किए गए थे। समय के साथ खड्ड में आने वाली बाढ़ और भूस्खलन के चलते यह भूमि असुरक्षित हो गई है। भारी बारिश के दौरान खड्ड का पानी इन पट्टों तक पहुंच जाता है और अब तक काफी भूमि बह भी चुकी है। ऐसे में वहां मकान बनाना गरीब परिवारों के लिए नामुमकिन हो गया है।परिस्थितियों से मजबूर होकर पिछले करीब 80 वर्षों से लगभग 40 परिवार पास की सरकारी भूमि पर झोंपड़ियां और घर बनाकर रह रहे हैं। लोगों का कहना है कि यह घर उनके जीवन की पूंजी हैं, जिन्हें बनाने के लिए उन्होंने पाई-पाई जोड़ी है।

अब प्रशासनिक कार्रवाई के डर से उनका जीना दूभर हो गया है।इस गंभीर मुद्दे को लेकर जिला कांगड़ा कांग्रेस के युवा महासचिव श्री सचिन गुलेरिया की अगुवाई में करीब छह दर्जन ग्रामीणों ने कृषि एवं पशुपालन मंत्री चौधरी चन्द्र कुमार से भेंट की। प्रतिनिधिमंडल ने मंत्री को अवगत करवाया कि खड्ड किनारे की दी गई भूमि अब रहने योग्य नहीं रही और उन्हें वहां से हटकर जिस सरकारी भूमि पर वे दशकों से रह रहे हैं, वहीं पर उन्हें पट्टे दिए जाएं।कृषि मंत्री चौधरी चन्द्र कुमार ने ग्रामीणों की बात को गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया कि उन्हें जल्द ही राहत मिलेगी। उन्होंने तुरंत एसडीएम ज्वाली को इस विषय में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए और कहा कि वे स्वयं भी जल्द महाशा बस्ती का दौरा करेंगे।


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