पर्यावरण सतत विकास और आपदा प्रबंधन पर मंथन
सुजानपुर,रिपोर्ट बिंदू ठाकुर
राजकीय महाविद्यालय सुजानपुर टीहरा में पर्यावरण सतत विकास और आपदा प्रबंधन विषय पर आयोजित अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का शुभारंभ हर्षोल्लास के साथ हुआ। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ विभा ठाकुर जी ने सरस्वती मां के समक्ष दीप प्रज्वलन से की।
इस कार्यक्रम के संयोजक भूगोल विभाग के आचार्य प्रो राजीव ठाकुर जी ने प्राचार्य एवं उपप्राचार्य डॉ जितेंद्र कुमार भनवाल जी का इस कार्यक्रम में आने हेतु धन्यवाद किया और कार्यक्रम की रूप-रेखा को आफलाइन एवं ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए प्रतिभागियों के साथ सांझा किया । इसके उपरांत इस कार्यक्रम की मुख्य वक्ता विश्व प्रसिद्ध पर्यावरणविद् मेघा पाटेकर जी ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि वास्तव में पहाड़ी क्षेत्रों में जिसे विकास कहा जा रहा है उसी विकास के कारण पहाड़ी क्षेत्र की गुणवत्ता का ह्रास हो रहा है। उन्होंने बताया कि बादलों का फटना, ग्लेशियरों का पिघलना और भूस्खलन होना वास्तव में प्रतिक्रियाएं हैं परंतु जिनके कारण यह सब हो रहा है वे विषय सभी के लिए चिंतनीय हैं क्योंकि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हमारी नदियां कीचड़ से भरी पड़ी है। उन्होंने पर्यावरण संबंधी अपनी संवेदना को व्यक्त करते हुए एक कविता के माध्यम से कहा कि गंगा मां पर्वतों की चिट्ठी लेकर तुम उनका वर्णन सागर के साथ जरूर करना क्योंकि पर्वतों की बहुमूल्य संपत्ति आपदाओं के कारण नष्ट होकर सागर में मिल चुकी है। इसके उपरांत मसाई मारा विश्वविद्यालय केनिया के डॉ सैमसन ने कहा की वृक्षों के अत्यधिक कटाव और अंधाधुंध जमीनी खुदाई के कारण जल प्रवाह में अत्यधिक वेग उत्पन्न हो रहा है जिससे भूमि क्षरण और भूस्खलन जैसी आपदाओं का हमें बार-बार सामना करना पड़ता है। पेड़ों के अंधाधुंध कटाव के कारण फसलों तथा जान-माल का नुकसान मानव जाति को झेलना पड़ रहा है।
इसके उपरांत डॉ कोमल राज अर्याल, एस्टन विश्वविद्यालय बर्मिंघम ने बांध निर्माण पर नियंत्रण रखने की नसीहत देते हुए कहा कि देश में जितना हो सके कम से कम बांधों का निर्माण होना चाहिए क्योंकि उनके निर्माण में अत्यधिक जमीनी एवं प्राकृतिक कटाव किया जाता है जिससे भू संपदा का क्षरण अत्यधिक मात्रा में होने लगता है । यदि इस तरह के आवश्यक नियम देश में नहीं चलाए गए तो बहुत ही शीघ्र मानव जाति को भयंकर त्रासदी का सामना करना पड़ सकता है। इसके उपरांत हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक डॉ श्याम कौशल जी ने पर्यावरण सतत विकास और आपदा प्रबंधन पर अपने विचार रखते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का हमें जितनी आवश्यकता हो उतना ही प्रयोग करना चाहिए और भविष्य में आगे आने वाली पीढियों का ध्यान रखते हुए पृथ्वी, जल ,खनिज इत्यादि संसाधनों का ध्यानपूर्वक प्रयोग करना चाहिए। जनसंख्या के विषय में उन्होंने बताया कि हमारी जनसंख्या अधिक हो गई है जबकि हमारे पास संसाधनों की कमी है उसे कमी को पूरा करने के लिए हम विकास की दौड़ में चले हैं परंतु उससे हमारी उन्नति नहीं अपितु हमारा और प्रकृति का ह्रास ही हो रहा है। कार्यक्रम के अंत में इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के संयोजक प्रो राजीव ठाकुर ने इस कार्यक्रम में आए हुए मुख्य अतिथि सहित महाविद्यालय के समस्त शैक्षणिक और केयर शैक्षणिक वर्ग और ऑनलाइन माध्यम से जुड़े हुए सभी प्रतिभागियों का इस कार्यक्रम में भाग लेने हेतु धन्यवाद किया।
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