वाराणसी में पुजारियों की सुविधा को ध्यान में रखकर हुई पहल
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
मंडी जिले के दूरस्थ गांव छतरी की दो महिलाओं ने पारंपरिक ऊनी चप्पलें (पूलें) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विशेष अनुरोध पर काशी विश्वनाथ मंदिर के पुजारियों के लिए तैयार की थीं।
प्रधानमंत्री के 75वें जन्मदिन पर भाजपा की ओर से मनाए जा रहे सेवा पखवाड़ा के दौरान यह कहानी एक बार फिर सुर्खियों में आई। पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने एक वीडियो साझा कर इस प्रसंग को याद किया। उन्होंने कहा कि शुरुआत में तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ कि प्रधानमंत्री खुद फोन कर रहे हैं, लेकिन पीएम मोदी ने आत्मीयता से हिमाचल की पूलें मंगवाईं। यह भी कहा कि बिल जरूर भेजा जाए। बाकायदा खुद उन्होंने इसका भुगतान भी किया।पीएम मोदी की मांग के बाद पूलों की मांग बढ़ी है। खासकर मंदिरों के लिए इनका उपयोग किया जा रहा है। पीएम नरेंद्र मोदी की मांग पर पूलें बनाने की जिम्मेदारी छतरी उपतहसील के सडोचा गांव की रमेशु देवी और खंधीधार गांव की नेहा देवी को मिली।
उन्होंने स्वयं सहायता समूह की अन्य महिलाओं के साथ मिलकर उन्होंने लगभग 200 जोड़ी पूलें तैयार कीं। समय पर निर्देश पूरा करने के लिए सभी महिलाओं ने दिन-रात मेहनत की। रमेशु देवी याद करती हैं कि जब जयराम ठाकुर ने बताया कि यह प्रधानमंत्री का विशेष आग्रह है तो हमें विश्वास ही नहीं हुआ। यह हमारे जीवन का सबसे बड़ा दिन था। उनके कहने पर तीन चार साल पहले ये पूलें बनाई थीं।‘पूलें’ सिर्फ चप्पल नहीं हैं, बल्कि हिमाचल की सांस्कृतिक पहचान का हिस्सा हैं। इसकी तली भांग के रेशों और ऊपरी हिस्सा रंग-बिरंगे ऊनी धागों से बुना जाता है। ये पैरों को गरम रखती हैं। एक जोड़ी बनाने में 2 से 3 दिन का समय लगता है। रमेशु और नेहा देवी जैसी महिलाएं वर्षों से इसे आजीविका का साधन बनाए हुए हैं।
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