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"मुकेश अग्निहोत्री बोले – प्रदेश अध्यक्ष बनने का कोई इरादा नहीं"

                                  "विपक्ष के नेता का बड़ा बयान: संगठन में बदलाव पर दी प्रतिक्रिया"

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा है कि वे हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बनने के इच्छुक नहीं हैं और इस बारे में उन्होंने पार्टी हाईकमान को भी अवगत करवा दिया है। मंडी में आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान पूछे गए सवाल के जबाव में मुकेश अग्निहोत्री ने माना कि उनके समक्ष पार्टी हाईकमान ने प्रदेशाध्यक्ष बनने का प्रस्ताव रखा था।

मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पत्नी के देहांत के बाद परिवार में उत्पन्न हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए पार्टी हाईकमान से इस तरह की कोई भी जिम्मेदारी लेने से साफ इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अब उनके पास उनकी बेटी और परिवार की जिम्मेदारियां हैं जिसके चलते वे ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि इस तरह का दायित्व संभाल सकें।उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने बताया कि पूर्व की भाजपा सरकार के समय जल जीवन मिशन की धनराशि से 120 करोड़ के रेस्ट हाउस बना दिए गए। केंद्र सरकार इन पैसों को मौजूदा समय में मिलने वाली धनराशि से काट रही है। केंद्र का कहना है कि पैसा पानी उपलब्ध करवाने के लिए दिया गया था न कि रेस्ट हाउस बनाने के लिए। जबकि प्रदेश सरकार कह रही है कि यह कारनामा उन्हीं की सरकार के समय में हुआ है इसलिए इसे न काटा जाए। उपमुख्यमंत्री के अनुसार केंद्र सरकार से जेजेएम के तहत 1200 करोड़ की धनराशि लेने को है, लेकिन इसे अभी रोक दिया गया है।

देश भर में जेजेएम के तहत हुई गड़बड़ियों की जांच चल रही है और उसी के तहत इस राशि को रोका गया है। प्रदेश में ठेकेदारों की जो भी अदायगियां शेष हैं वे इसी योजना के तहत हैं जबकि प्रदेश सरकार की अपने स्तर पर कोई देनदारी देने को नहीं है।उपमुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में पानी के जो पेंडिंग बिल हैं उन्हें न लेने का आदेश विभाग को दिया गया है। इस बारे में शहरी विकास विभाग के साथ भी मंत्रणा चल रही है। भविष्य में इस व्यवस्था को कैसे सुचारू किया जा सकता है, उस दिशा में कार्य किया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी फिलहाल बिल न लेने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि बिलों का ज्यादा मसला नहीं है इससे विभाग को वर्ष भर में 40 करोड़ की ही आय प्राप्त होती है। केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों के बिलों को पंचायतों के हवाले करने को कह रही है। पंचायतें ही अब बिल देंगी और उसकी कलेक्शन भी करेंगी। केंद्र ने इस योजना को लागू करने सारी फंडिंग रोक दी है। प्रदेश सरकार अब इस पर कार्य कर रही है।


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