"देवताओं की हाजिरी में गूंजा आस्था और परंपरा का पर्व"
कुल्लू,ब्यूरो रिपोर्ट
भगवान रघुनाथ की भव्य रथयात्रा के साथ देव-मानस मिलन का प्रतीक कुल्लू का अंतरराष्ट्रीय दशहरा महोत्सव वीरवार को शुरू हो गया। भगवान रघुनाथ के साथ करीब तीन सौ देवी-देवताओं ने ढालपुर मैदान में डेरा डाल दिया है। आठ अक्तूबर तक ये देवी-देवता यहीं अस्थायी शिविरों में रहेंगे।
भगवान रामचंद्र के जयघोष के साथ दोपहर बाद आरंभ हुई रथयात्रा में आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। सोलह साल बाद नए वस्त्रों से सजा भगवान रघुनाथ का रथ निकलते ही कुल्लू घाटी ढोल-नगाड़ों, करनाल, नरसिंगा, शहनाई की स्वर लहरियों के साथ हर-हर महादेव, श्रीराम के जयघोष से गूंज उठी। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल समेत करीब 60 हजार लोग इस देव महाकुंभ के गवाह बनें।प्राकृतिक आपदा के बाद यह उत्सव प्रदेश का सबसे बड़ा आयोजन है। भगवान रघुनाथ सुल्तानपुर स्थित अपने देवालय से वीरवार शाम 4:12 बजे पालकी में सवार होकर कड़ी सुरक्षा के बीच रथ मैदान पर पहुंचे। इस दौरान पूजा अर्चना के साथ देव परंपरा का निर्वहन किया गया। घाटी के करीब 100 देवी-देवता भी रथ मैदान पर पहुंचे।
शाम 4:50 बजे हर-हर महादेव, श्रीराम के जयकारों के साथ रथयात्रा शुरू हुई। रथयात्रा रथ मैदान से शुरू होकर करीब 500 मीटर दूर रघुनाथ जी के अस्थायी शिविर तक पहुंची। जैसे ही भगवान रघुनाथ का रथ चलना शुरू हुआ मुख्यातिथि राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल सहित तमाम गण्यमान्य लोग अपनी जगह से खड़े होकर नतमस्तक हो गए। हजारों लोगों ने रथ को खींचा। करीब 15 मिनट बाद भगवान रघुनाथ दशहरा मैदान स्थित अपने अस्थायी शिविर पहुंचे।रथयात्रा में देवी हिडिंबा, बिजली महादेव, नाग धुंबल, ज्वाणी महादेव, त्रिपुरा सुंदरी, दोचामोचा, पीज के देवता जमदग्नि, माता ज्वाला, नीलकंठ, माता कोटली और कंचन नाग सहित 100 देव-देवता अपने देवलुओं के साथ शामिल हुए। रथयात्रा के दौरान देवता शृंगा ऋषि और बालू नाग अपने अस्थायी शिविर में ही पुलिस की निगरानी में रहे। भगवान रघुनाथ दशहरा मैदान में सात दिन तक रहेंगे। इस दौरान उन्हें रोज नए वस्त्र पहनाए जाएंगे और शृंगार भी होगा।
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