कर्मचारियों ने सरकार और बोर्ड प्रबंधन पर लगाई लापरवाही के आरोप
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू की घोषणा के बाद भी पदोन्नतियां नहीं होने पर बिजली बोर्ड की कर्मचारी यूनियन भड़क गई है। बुधवार को यूनियन की नवनियुक्त कार्यकारिणी ने राजधानी शिमला में प्रेस वार्ता कर बोर्ड कर्मचारियों के हितों के लिए संघर्ष जारी रखने का एलान किया।
महासचिव प्रशांत शर्मा ने कहा कि पदोन्नति आदेश जल्द जारी होने चाहिए। उन्होंने बिजली मित्र और आउटसोर्स भर्ती का भी विरोध किया।यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष नितिश भारद्वाज, महासचिव प्रशांत शर्मा और पूर्व महासचिव हीरालाल वर्मा ने बुधवार को प्रेस वार्ता में बताया कि 15-16 अक्तूबर को हुए यूनियन के दो दिवसीय अधिवेशन में 35 पदाधिकारी चुन कर आए हैं। नई कार्यकारिणी के लिए दस पुराने पदाधिकारियों ने यूनियन के लिए अपनी अहम सेवायें देने के बाद नए कार्यकर्ताओं को जिम्मेदारी सौंपी है।
नव नियुक्त महासचिव प्रशांत शर्मा ने कहा कि यूनियन कर्मचारी के हितों की लड़ाई कर्मचारियों के साथ मिलकर लड़ेगी।मौजूदा समय में बोर्ड के 1000 से अधिक कर्मचारी अपनी पदोन्नति का इंतजार कर रहे हैं। अधिवेशन के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने घोषणा करते हुए कहा था कि कर्मचारियों व तकनीकी कर्मचारियों की लंबे समय से रुकी पदोन्नितयां तत्काल प्रभाव से होंगी लेकिन हैरानी की बात है कि अधिवेशन के 14 दिन बाद भी पदोन्नति आदेश जारी नहीं हुए हैं।उन्होंने सरकार से मांग की कि पदोन्नति आदेश जल्द जारी होने चाहिए। पूर्व महासचिव हीरालाल वर्मा ने कहा कि बोर्ड में कर्मचारियोंं की कमी बढ़ती जा रही है। मौजूदा समय में 28 लाख उपभोक्ता हैं।
एक समय था जब बोर्ड में 43 हजार कर्मचारी थे और 6 लाख बिजली उपभोक्ता थे। आज बिजली बोर्ड के ढांचे का विस्तार हो गया है। कई बिजली विद्युत परियोजनाएं चल रही है, लेकिन कर्मचारियों की संख्या मात्र 11 हजार रह गई है। उन्होंने कहा कि शिमला में तो ये स्थिति हो गई है कि कर्मचारियों की कमी के चलते नाइट शिफ्ट भी बंद हो गई है। बोर्ड में 9000 पद खाली पड़े हैं, इनमें 5000 पद तकनीकी कर्मचारियों के रिक्त पड़े हैं लेकिन सरकार की ओर से यह पद नहीं भरे जा रहे हैं। कर्मचारियों के पदों की कर्मी के चलते उपभोक्ता भी परेशान हो रहा है। उन्होंने सरकार से मांग की बोर्ड में स्थायी कर्मचारियों की भर्ती की जाए।
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