प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला, पहली जनवरी से प्रभावी होगी संशोधित भू-राजस्व नीति
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में बिजली कंपनियों को अब प्रोजेक्ट के औसत बाजार मूल्य का दो फीसदी भू-राजस्व चुकाना होगा। जिला स्तर पर बाजार मूल्य का आकलन करने के बाद भू-राजस्व निर्धारित किया गया है। शुक्रवार को भू-राजस्व अधिकारी शिमला और कांगड़ा की ओर से राजपत्र में इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई। बिजली प्रोजेक्टों पर भू-राजस्व पहली जनवरी 2026 से लागू होगा। वन सरंक्षण अधिनियम के तहत अनुमति लेकर ट्रांसफर की गई जमीन पर भी भू-राजस्व देना होगा। जमीन का मालिकाना हक यदि प्रोजेक्ट के पास नहीं है, तब भी भू-राजस्व देना होगा।
ऊर्जा निदेशालय के आकलन के अनुसार कुल 188 बिजली परियोजनाओं से 2,000 करोड़ का भू-राजस्व एकत्र होने का अनुमान है। नई व्यवस्था के तहत ऐसी हर जमीन पर भू-राजस्व देना होगा, जिसे गैर कृषि कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। सरकार ने इससे पहले बिजली परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाया था लेकिन मामला कोर्ट में चला गया। इसलिए सरकार ने राजस्व विभाग के माध्यम से भू-राजस्व का रास्ता निकाला है, इसके लिए नया कानून बनाया गया। विधानसभा से पारित एक्ट में इसकी अधिकतम सीमा चार फीसदी थी, लेकिन सरकार ने बिजली परियोजनाओं पर दो फीसदी ही भू-राजस्व लगाया है।
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