सदियों पुराना श्राप बना अंधेरे की वजह
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
देश-प्रदेश में दिवाली पर्व की खूब रौनक है, लेकिन हमीरपुर जिले की भोरंज पंचायत के सम्मू गांव में सैकड़ों वर्षों से लोग दिवाली नहीं मनाते हैं। दिवाली पर गांव के किसी भी घर में न तो कोई पकवान बनता है और न ही कोई पटाखे जलाता है।
मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सम्मू गांव में सैकड़ों वर्षों से श्राप झेल रहे लोग दिवाली मनाने में परहेज कर रहे हैं। ग्रमीणों के अनुसार दिवाली की रात दीप तो जलाए जाते हैं, लेकिन अगर किसी परिवार ने गलती से भी पटाखे जलाने के साथ-साथ घर पर पकवान बनाया तो फिर गांव में आपदा का संकट रहता है। दिवाली के दिन लोग रात को घर से बाहर तक नहीं निकलते।मान्यता के अनुसार इस पर्व के दिन गांव की ही एक महिला अपने पति के साथ सती हो गई थी। महिला दिवाली का त्योहार मनाने के लिए अपने मायके जाने के लिए निकली थी। उसका पति राजा की सेना में सैनिक था। एक लड़ाई के दौरान उसके पति की मृत्यु हो गई। महिला जैसे ही गांव से कुछ दूर आई तो ग्रामीण सामने से उसके पति के शव व सामान को ला रहे थे। महिला गर्भवती थी और पति की मौत का सदमा बर्दाश्त नहीं कर सकी और वह अपने पति के साथ ही सती हो गई।
जाते-जाते वह सारे गांव को यह श्राप देकर चली गई कि इस गांव के लोग कभी भी दिवाली का त्योहार नहीं मना पाएंगे। उस दिन से लेकर आज तक इस गांव में दिवाली नहीं मनाई जाती है।दिवाली के दिन लोग सिर्फ सती की मूर्ति की पूजा करते हैं। सम्मू गांव की रहने वाली महिलाओं कमला, सरिता, बीना, संतोष आदि ने कहा कि जब से वे इस गांव में शादी करके आई हैं, तब से आज तक गांव में कभी दिवाली नहीं मनाई और न ही किसी को दिवाली मनाते देखा है।श्राप के कारण गांव के 100 परिवार दिवाली नहीं मनाते हैं। गांव के लोग यदि गांव के बाहर भी बस जाएं, तब भी सती का श्राप उनका पीछा नहीं छोड़ता। गांव का एक परिवार गांव के बाहर दूर जाकर बस गया। जब उन्होंने वहां दिवाली पर स्थानीय पकवान बनाने की कोशिश की, तब अचानक ही उनके घर में आग लग गई। गांव के लोग सिर्फ सती की ही पूजा करते हैं और उनके आगे दीया जलाते हैं।
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