प्रदेश में कई ऐसी पंचायतें हैं जो लगातार महिलाओं के लिए ही आरक्षित चल रही हैं
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन के फैसले के बाद राज्य में नई पंचायतें बनाई जा सकती हैं। पुनर्गठन से सीमाएं इधर से उधर होंगी। दरअसल, सरकार को लगातार शिकायतें मिल रही हैं कि प्रदेश में कई ऐसी पंचायतें हैं जो लगातार महिलाओं के लिए ही आरक्षित चल रही हैं, कई पंचायतों के वार्ड इधर से उधर भी हुए हैं। इससे विकास खंड मुख्यालय भी दूर हुआ है।
प्रस्तावों के बाद प्रदेश सरकार ने उपायुक्तों को पंचायतों की सीमाएं दुरुस्त करने के निर्देश दिए थे। सोमवार को कैबिनेट की बैठक में सरकार ने पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन को मंजूरी दी है। दूसरी ओर राज्य निर्वाचन आयोग पंचायतों की पुरानी परिधि के आधार पर चुनाव करवा रहा है। कैबिनेट के निर्णय के बाद राज्य निर्वाचन आयोग और प्रदेश सरकार के बीच टकराव बढ़ सकता है।राज्य में 30 पंचायतों और 5 विकास खंडों का पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन के प्रस्ताव आए हैं। विकास खंडों में हमीरपुर के तीन और ऊना के दो खंड के लोगों ने पुनर्गठन की मांग की है। प्रदेश में वर्तमान में ग्राम पंचायतों की संख्या 3,577 है। उल्लेखनीय है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने आदर्श आचार संहिता की धारा 12.1 के तहत प्रदेश में पंचायतों के पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन पर रोक लगाई है।
इसमें कहा गया है कि अब प्रदेश में पंचायतों की सीमाओं, क्षेत्र, संरचना या वर्गीकरण में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं किया जा सकेगा। यह प्रतिबंध तब तक लागू रहेगा जब तक चुनाव प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।आयोग ने सभी विभागों और प्रशासनिक अधिकारियों को आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। अब कैबिनेट की ओर से वार्डों के पुनर्गठन और सीमांकन को लेकर लिए गए फैसले से प्रदेश सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग के बीच टकराव बढ़ सकता है। राज्य निर्वाचन आयोग ने चुनाव की तैयारियां पूरी कर ली हैं। बैलेट पेपर की छपाई की गई है। जिला निर्वाचन अधिकारियों को चुनाव सामग्री उठाने के निर्देश दे दिए हैं। अब मतदाता सूचियां नए सिरे से बनानी पड़ेगी। पंचायतों के पुनर्गठन की मंजूरी के बाद नए सिरे से पंचायतों की सीमाओं में बदलाव के लिए लोगों से आवेदन मांगे जा सकते हैं। इसके लिए लोगों को समय दिया जा सकता है। हिमाचल प्रदेश में पंचायतीराज संस्थाओं का कार्यकाल 31 जनवरी 2026 को पूरा होने जा रहा है। 50 शहरी निकायों का कार्यकाल 18 जनवरी को पूरा होगा।
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