सांख्यिकीय ईयर बुक में खुलासा
शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट
रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल करने में शिमला जिला हिमाचल प्रदेश में पहले नंबर पर है। जिला ऊना दूसरे और कांगड़ा तीसरे स्थान पर है। किन्नौर जिले से ज्यादा रासायनिक खादों का इस्तेमाल लाहौल स्पीति कर रहा है। इसका खुलासा सांख्यिकीय ईयर बुक 2024-25 में हुआ है। एक साल में हिमाचल प्रदेश 60 हजार मीट्रिक टन तक उर्वरकों का इस्तेमाल कर रहा है।
इस ईयर बुक के अनुसार वर्ष 2024-25 में हिमाचल प्रदेश में रासायनिक उर्वरकों की खपत 59,990 मीट्रिक टन रही। खरीफ में 26,260 और रबी में 33,730 मीट्रिक टन हुई। शिमला जिले में 12,643, ऊना में 10,235, कांगड़ा में 7,931, कुल्लू में 7,000, मंडी में 6,538, सिरमौर में 4,736, सोलन में 3,857, बिलासपुर में 2,338, हमीरपुर में 1,981 और चंबा में 1,257 मीट्रिक टन की खपत हुई। लाहौल स्पीति में जहां 1,048 मीट्रिक की खपत हुईं, वहीं किन्नौर में 426 मीट्रिक टन रही।शिमला में रबी की फसल में 8,175 मीट्रिक टन की खपत हुई। ऊना में भी रबी की फसल के लिए सर्वाधिक 5,634 और कांगड़ा में भी इसी फसल के लिए 7,931 मीट्रिक टन की खपत हुई। सबसे कम खपत वाले जिले किन्नौर में खरीफ की फसल को 165 और रबी में 261 मीट्रिक टन की खपत हुई।
राज्य कृषि निदेशक डॉ. रविंद्र सिंह जसरोटिया ने बताया कि शिमला जिले में सेब बागवानी बड़े स्तर पर होती है, इसलिए यहां खपत ज्यादा है। ऊना और कांगड़ा जिलों में खाद्यान्नों की उपज अधिक होती है, इस कारण वहां भी उर्वरकों का ज्यादा इस्तेमाल होता है। उर्वरकों का यह मान एनपीके यानी नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश की मात्रा के आधार पर मीट्रिक टन में लिया जाता है। यह आंकड़ा उपदानयुक्त उर्वरकों के इस्तेमाल पर आधारित है।
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