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मां रंजना पांच दिन बाद जिंदगी की जंग हारी, दिव्यांग बेटे के सिर से उठा ममता का साया

                                                                 नाबालिग ने की थी हैवानियत

हमीरपुर, ब्यूरो रिपोर्ट 

रंजना, जो पांच दिन से मौत से संघर्ष कर रही थी, आखिरकार हार गई हैं।  साथ ही उनके बेटे वीरेंद्र उर्फ गोलू की पांच दिन से मां के स्वस्थ होने और घर लौटने की उम्मीद भी टूट गई है।  सदर थाना के सासन पंचायत में हुई भयानक घटना ने सभी को हिला दिया है।  यह घटना सामाजिक व्यवस्था पर बड़ा प्रश्नचिन्ह और कलंक बन गई है।  यहां एक नाबालिग लड़के ने भोली-भाली रंजना देवी पर हमला करने का इरादा किया।प्रारंभिक जांच में पता चला कि रंजना देवी को बचाव करते हुए चोट लगी और कान तक कट गया।

 रंजना देवी ने पांच दिनों तक पीजीआई चंडीगढ़ में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष किया।  शुक्रवार रात को महिला का जीवन खत्म हो गया।  मां की मृत्यु के बाद उनके 17 साल के दिव्यांग बेटे वीरेंद्र उर्फ गोलू का साया उठ गया है।दिव्यांग लड़के की देखभाल रंजना ने की।  गोलू अपनी मां पर पूरी तरह निर्भर था।  गोलू को पांच दिन से उसके करीबी और रिश्तेदारों ने संभाला था, लेकिन अब उसे संभालने के लिए किसी परिवारजन के पास शब्द और साहस नहीं बचे हैं।  गोलू अब अपनी मां के हाथों से खाना नहीं खा पाएगा।  रंजना की पहली बेटी थी।  बेटी का जन्म 17 दिन बाद हुआ था।  उसके कुछ साल बाद गोलू हुआ।  गोलू बचपन से दिव्यांग था, इसलिए वह सिर्फ अपनी मां पर निर्भर था।गोलू के पिता विजय कुमार लोक निर्माण विभाग में काम करते हैं और वे एक बेलदार हैं।  गोलू अब गोलू के ताया और ताई पर है।  

गोलू अक्सर ताई के साथ दुकान जाता था, लेकिन अपनी मां के साथ अधिकतर समय बिताता था।ध्यान दें कि बीते तीन नवंबर को ४० वर्षीय रंजना कुमारी की पत्नी विजय कुमार खेतों में घास काटने जा रही थी।  नाबालिग इस दौरान महिला पर झपट पड़ा।  नाबालिग ने महिला को विरोध करने पर डंडे से पीटा।महिला घायल हो गई थी और उसे मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था।  महिला की गंभीर हालत को देखते हुए उसे पीजीआई चंडीगढ़ भेजा गया था।  नाबालिग ने उसे लगे घावों से बच नहीं पाई और वह मर गई।


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