याचिकाकर्ताओं को राहत नहीं ,टेस्ट नियत समय पर ही होगा
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी में जूनियर ऑफिस असिस्टेंट (आईटी) के 25 पदों पर भर्ती के लिए टाइपिंग टेस्ट पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए आवेदन को खारिज कर दिया है। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने कहा कि प्रथम दृष्टया अंतरिम राहत के लिए कोई आधार नहीं बनता है। अदालत ने आदेश दिया कि नियुक्तियां याचिका के अंतिम परिणाम के अधीन रहेंगी। कोर्ट ने निजी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करते हुए जवाब दायर करने को कहा। सुनवाई 23 दिसंबर को होगी। सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी ने 7 सितंबर 2022 को जेओए (आईटी) के 25 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था।कंप्यूटर आधारित टेस्ट 20 अक्तूबर 2022 को आयोजित किया गया था, लेकिन तीन साल तक परिणाम घोषित नहीं किया गया। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद विश्वविद्यालय ने 10 सितंबर 2025 को परिणाम घोषित किया।
अब याचिकाकर्ता मनीष कुमार ने परिणाम में देरी को मनमाना बताते हुए पूरी चयन प्रक्रिया को रद्द करने और नए सिरे से भर्ती शुरू करने की मांग की है। याचिकाकर्ता का तर्क था कि विवि ने जिस सेक्शन ऑफिसर को परीक्षा के लिए नोडल ऑफिसर नियुक्त किया था, उसकी रिश्तेदार इस पद के लिए उम्मीदवार थीं। वहीं विश्वविद्यालय ने निर्देशों में स्पष्ट किया कि उनके पास ऐसी कोई एसओपी नहीं था, जिसके तहत अधिकारियों को रिश्तेदारों के परीक्षा में शामिल होने का खुलासा करना अनिवार्य हो। प्रदेश हाईकोर्ट ने ऊना में खैर के पेड़ों की अवैध कटाई और वन आवरण की कमी को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। ऊना निवासी संजीव कुमार की शिकायत पर हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दर्ज की गई है, जिसमें ऊना जिले में खैर के पेड़ों की कटाई पर चिंता जताई गई। वन विभाग ने इस मामले में एक हलफनामा दाखिल किया, जिसमें शिकायतकर्ता के पुराने मामलों और लगाए गए विभिन्न दंडों का उल्लेख किया गया है।
हालांकि, विभाग ने यह भी स्वीकार किया कि खैर-प्रदान क्षेत्रों के पेड़ों की गणना जीपीएस लोकेशन के साथ अनुमोदित कार्य योजना के अनुसार ऊना वन मंडल द्वारा की जानी है।न्यायालय ने संज्ञान लेते हुए कहा कि विभाग की ओर यह स्वयं स्वीकार किया गया है कि तीन वन अधिकारियों को दो अलग-अलग मामलों में अवैध कटाई पर उचित कार्रवाई करने में विफल रहने और सरकारी कर्तव्य के निर्वहन में लापरवाही बरतने के लिए आरोपपत्र दिया गया है। न्यायालय ने नोट किया कि ऊना वन मंडल एक सीमावर्ती मंडल है और पंजाब के लिए कई निकास मार्ग होने के कारण प्रमुख लकड़ी की बाजारों तक आसान पहुंच है, जिससे अवैध तस्करी सुगम होती है विभाग ने यह भी स्वीकार किया कि 1 अप्रैल 2022 से 605 वाहन बिना कानूनी दस्तावेजों के पकड़े गए हैं। इन तथ्यों के मद्देनजर न्यायालय ने मामले में सहायता के लिए एक अधिवक्ता को न्याय मित्र नियुक्त किया है। मामले की अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी।प्रदेश हाईकोर्ट ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की याचिका को खारिज करते हुए उसकी बर्खास्तगी के आदेश को सही ठहराया है।
याचिकाकर्ता जिला मंडी में आंगनबाड़ी केंद्र में कार्यरत थी। उसे बार-बार अनुशासनहीनता और आदेशों की अवहेलना के लिए 27 जून 2024 को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ ने पाया कि याचिकाकर्ता ने अपने उच्च अधिकारियों के निर्देशों का बार-बार उल्लंघन किया। मामला पंचायत और ग्रामीणों की शिकायतों से शुरू हुआ था, जिसमें आंगनबाड़ी केंद्र को याचिकाकर्ता के घर से हटाकर महिला मंडल भवन में स्थानांतरित करने की मांग की गई थी।बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) की ओर से 13 अप्रैल 2023 को बाल केंद्र को महिला मंडल भवन में स्थानांतरित करने का निर्देश दिए जाने के बावजूद याचिकाकर्ता ने आदेश का पालन नहीं किया। इसके बजाय याचिकाकर्ता ने इसे अपने जेठ के घर में स्थानांतरित कर दिया। अधिकारियों ने कई बार केंद्र को महिला मंडल भवन में स्थानांतरित करने के निर्देशों को दोहराया। जब निर्देशों की पालना नहीं की गई उसके बाद इसे लेकर हाईकोर्ट में एक सिविल रिट याचिका दायर की गई। इसके बाद अदालत ने 21 अक्तूबर 2023 को केंद्र को स्थानांतरित करने का आदेश दिया, जिसका पालन भी याचिकाकर्ता ने नहीं किया। अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह अनुशासनहीनता का मामला है। न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि याचिकाकर्ता की सेवा समाप्ति को विकृत या असंगत नहीं कहा जा सकता है।
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