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राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि उनके और सरकार के बीच अच्छे संबंध हैं

                 राज्यपाल बोले- केंद्रीय सहायता पर विपक्ष और सरकार के झगड़े में नहीं पड़ना चाहता

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने कहा कि उनके कार्यकाल के 10 महीने पूरे हो गए हैं। जब यहां आए तो थोड़े दिन में ही प्राकृतिक आपदा आई। ऐसी आपदाओं से कैसे निपटना है, इस बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। अतिक्रमण के मामलों को कम करना होगा। राज्यपाल ने शुक्रवार को अमर उजाला से विशेष बातचीत में कहा कि सड़कों के किनारे जिस तरह से निर्माण हो रहे हैं, उन्हें घटाने की जरूरत है।

केंद्रीय सहायता पर विपक्ष और हिमाचल सरकार के बीच आरोप-प्रत्यारोपों पर राज्यपाल ने कहा कि वह दोनों के झगड़े में नहीं पड़ना चाहते हैं। आपदा से निपटने में केंद्र सरकार ने अच्छी सहायता दी है और हिमाचल सरकार का काम भी अच्छा रहा है। केंद्र ने बहुत से पैकेज दिए हैं। केंद्रीय टीम हिमाचल में आई थी, उसकी रिपोर्ट पर ही केंद्र सरकार अनुदान देती है। हिमाचल विशेष श्रेणी राज्य है।

यहां 90 प्रतिशत का योगदान केंद्र सरकार का ही रहता है। राज्य को 10 फीसदी ही अपना देना होता है। हिमाचल में आपदा ने खेतीबाड़ी को भी प्रभावित किया है। खेती की गुणवत्ता में कैसे सुधार हो, इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता है। प्राकृतिक खेती पर काम होना चाहिए। बागवानी विवि नौणी ने इस दिशा में प्रयोग किए हैं। इसके केंद्रों में जो काम हो रहे हैं, वहां किसानों को भेजा जाना चाहिए।शुक्ल ने कहा कि विकसित भारत संकल्प यात्रा जो केंद्र सरकार ने निकाली है, यह हिमाचल में भी इस सुविधा से वंचित लोगों के लिए है। सरकार की दो योजनाएं हिमकेयर और सुखाश्रय को इसमें जोड़ा गया है। राज्य सरकार के अधिकारियों को भी लोगों के बीच यात्रा को मिलकर ले जाना चाहिए। जो स्थान छूटे हैं, उनमें छूटे व्यक्तियों को लाभ दिलाना चाहिए।

शुक्ल ने कहा कि उनके और सरकार के बीच अच्छे संबंध हैं। राजभवन में दो विधेयकों को ही लंबित रखा गया है। लोकतंत्र प्रहरी विधेयक को कुछ सवालों के साथ राज्य सरकार को भेजा गया है। कृषि और बागवानी विधेयक विश्वविद्यालयों से संबंधित हैं। विश्वविद्यालयों की अपनी गरिमा को बनाए रखना जरूरी है। इन्हें यूनिवर्सिटी एक्ट से ही चलाया जाना चाहिए। दवा के सैंपल फेल हो रहे, इसमें राज्य की बुराई : शुक्ल ने चिंता जताई कि राज्य में बन रही दवाओं के जिस तरह से सैंपल फेल हो रहे हैं। इससे राज्य की बुराई हो रही है। स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। नशे के खिलाफ सख्त कदम उठाना होगा। सरकार को अपना नशामुक्ति केंद्र खोलना चाहिए।



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