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कृषि-बागवानी क्षेत्र कीटनाशकों से विषाक्त

कृषि-बागवानी क्षेत्रों में कीटनाशकों के प्रभाव ने प्राकृतिक खेती की योजनाओं को धरातल पर नहीं उतारा

शिमला , ब्यूरो रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश कृषि और बागवानी क्षेत्रों में अंधाधुंध कीटनाशकों के इस्तेमाल से विषाक्त हो गया है। सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती के लिए कई अभियान चलाने की बात करती है, इसकी हर साल बजट में घोषणा भी होती है, लेकिन धरातल पर कुछ नहीं होता। 


इससे देवभूमि की कृषि-बागवानी क्षेत्रों में जहर घुलने का क्रम कम नहीं हो रहा है। हर पांच साल के बाद जनता सांसद को चुनती है कि वे प्राकृतिक खेती पर भी काम करेंगे और केंद्रीय योजनाओं के तहत बजट लाएंगे, लेकिन वे ऐसा नहीं कर पाए। 10 से 20 करोड़ रुपये का बजट प्राकृतिक खेती के लिए निर्धारित कर लिया जाता है। 


प्रदेश में सेब बागवानी का सालाना कारोबार लगभग 5,000 करोड़ रुपये है। ज्यादातर सेब बागवानों को लगता है कि प्राकृतिक तरीके से सेब बागवानी संभव नहीं है। राज्य के लाखों बागवान सेब की फसल पर ही निर्भर रहते हैं। वे प्राकृतिक खेती के लिए प्रचलित बागवानी तकनीकों का उपयोग करने की स्थिति में नहीं हैं।


कुछ स्थानों पर प्राकृतिक रूप से सेब की फसल उगाने की कोशिश की गई है, लेकिन वे इससे मुनाफा नहीं कमा पाए हैं। इसका कारण बाजार नहीं होना है। दूसरी बात यह है कि सेब की फसल में कई रोगों से निपटने के लिए पहले जैविक दवाएं उपलब्ध नहीं हो सकतीं, और अगर वे उपलब्ध हो भी जाएं तो उनकी लागत रासायनिक दवाओं से अधिक होगी। रासायनिक उर्वरकों का उपयोग भी आवश्यक हो गया है। 


मक्की, गेहूं और धान राज्य में उगाए जाते हैं। राजमाह, माश और चना दलहन हैं। जब बात सब्जियों की आती है, तो राज्य में मटर, टमाटर, शिमला मिर्च और अन्य सब्जियों की खेती भी अच्छी तरह होती है। मशरूम भी खेती की जाती है। इनमें से बहुत कम फसलों को प्राकृतिक रूप से उगाया जा सकता है। भाजपा सरकार में कृषि मंत्री रहे वीरेंद्र कंवर ने कहा कि कांग्रेस लोगों को बदनाम करने की कोशिश कर रही है। 

सरकार को अपने पिछले डेढ़ वर्ष के कार्यों का विवरण देना चाहिए। प्रदेश में भाजपा सरकार के दौरान डेढ़ लाख किसान प्राकृतिक खेती करते थे। साथ ही, प्राकृतिक उत्पादों को बेचने के लिए अलग-अलग मंडियां बनाने की योजना बनाई गई थी। प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने में समय लगेगा। मौजूदा सरकार हमारे शुरुआत को आगे बढ़ा रही है, यह अच्छा है। सरकार को भी अपनी कोशिशों का परिणाम बताना चाहिए। 

प्रधानमंत्री मोदी प्राकृतिक कृषि को महत्व देते हैं।प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत राज्य में 1,78,643 किसानों ने 24,210 हेक्टेयर क्षेत्र में प्राकृतिक खेती का विकल्प चुना है। वित्त वर्ष 2023-24 में अतिरिक्त 50 हजार बीघा भूमि को कवर करने का लक्ष्य रखा गया। 

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