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बांग्लादेश सरकार ने शहीद को जारी किया सम्मान

                                                      28 मई को 21 पंजाब रेजिमेंट ने घर आकर दिया

काँगड़ा,रिपोर्ट नेहा धीमान 

1971 में पूर्वी पाकिस्तान (बांग्लादेश) के मुक्ति संग्राम में भारतीय सेना ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए जीत की गाथा लिखकर पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी थी। सैनिकों के अदम्य साहस से भारत को पाकिस्तान के खिलाफ इस युद्ध में बड़ी जीत मिली थी। 

युद्ध उपरांत पूर्वी पाकिस्तान बांग्लादेश के रूप में एक स्वतंत्र राष्ट्र बना। युद्ध में भारत के कई सैनिकों ने शहादत को गले लगाया था। इसी बात को लेकर बांग्लादेश ने शहीद हुए भारतीय सैनिकों के परिवारों को सम्मानित करने के लिए सम्मान पत्र जारी किए हैं।उपमंडल फतेहपुर के अंतर्गत आते क्षेत्र चमराल के निवासी 21 पंजाब रेजीमेंट के सिपाही हंस राज ने भी उस लड़ाई में अदम्य साहस का परिचय देते हुए 6-12-1971 को शहादत का जाम पीकर वीरता की अपनी गाथा लिख दी। उसी वीरता की याद को याद करते हुए बांग्लादेश सरकार का सम्मान पत्र लेकर 28 मई 2025 को 21 पंजाब रेजिमेंट के सैनिक उनके पैतृक गांव चमराल में आए और उनके छोटे भाई राम स्वरूप शर्मा को लिब्रेशन वॉर ऑनर स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।


शहीद हंस राज के छोटे भाई रामस्वरूप शर्मा ने बताया कि पांच भाइयों में हंस राज सबसे बड़े थे। वो 26 अक्तूबर 1965 को 21 पंजाब रेजिमेंट में भर्ती हुए थे। इस दौरान उन्होंने 1971 में पाकिस्तान-भारत युद्ध में हिस्सा लिया। जिसके चलते 6 दिसंबर1971 को वो लड़ाई के दौरान शहीद हो गए। उन्होंने बताया कि शहीद हंस राज उस समय कुंवारे ही थे। उन्होंने बताया कि शहादत के उपरांत उनके पिता स्व. रुणकू राम को पेंशन भी मिलती रही। जबकि 1994 में उनकी मौत के बाद माता मंगली देवी 1998 तक पेंशन लेती रहीं।2018 में जारी हुए तत्कालीन बंगलादेश प्रधानमंत्री शेख हसीना और राष्ट्रपति अब्दुल हामिद के हस्ताक्षरित से जारी हुए सम्मान पत्र और स्मृति चिन्ह को पाकर भाई रामस्वरूप शर्मा, भाभी रमा देवी  और भतीजा सूरज शर्मा बेहद खुश हैं। उन्होंने बताया कि इतना बड़ा सम्मान मिलना न सिर्फ उनके परिवार अपितु क्षेत्र के लिए भी बड़ी बात है। 




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