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79 वन रक्षकों को याचिकाकर्ताओं के स्थान पर स्थानांतरित करने के निर्देश

                                  हाईकोर्ट ने मामले में सरकार से उन वन रक्षकों का विवरण मांगा था

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल हाईकोर्ट ने कभी भी कठिन क्षेत्रों में सेवा नहीं देने वाले 79 वन रक्षकों को याचिकाकर्ताओं के स्थान पर स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं।

 न्यायाधीश संदीप शर्मा की अदालत ने वन रक्षकों के तबादलों के संबंध में 22 फरवरी के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें स्टाफ की कमी का हवाला देते हुए विभाग ने वन रक्षकों के तबादले की अर्जी खारिज कर दी गई थी। कोर्ट ने सरकार को सात दिन के भीतर याचिकाकर्ताओं के आवेदनों पर नए सिरे से विचार करने के निर्देश दिए हैं। हाईकोर्ट ने यह कहा कि व्यापक मार्गदर्शक सिद्धांत- 2013 का सख्ती से पालन किया जाए, ताकि कोर्ट में बेवजह याचिकाओं की बाढ़ न आए।हाईकोर्ट ने मामले में सरकार से उन वन रक्षकों का विवरण मांगा था, जिन्होंने अभी तक कठिन व जनजातीय क्षेत्रों में सेवाएं नहीं दी हैं।


प्रधान मुख्य वन संरक्षक प्रशासन और मानव संसाधन विकास की ओर से पेश रिकॉर्ड के मुताबिक चंबा सर्किल में तैनात 193 वन रक्षकों में से 79 ने अभी तक कठिन जनजातीय क्षेत्रों में सेवा नहीं दी हैं। अदालत ने पाया कि स्थानांतरण नीति के खंड 12, 15 और 16.1 के अनुसार सामान्य कार्यकाल पूरा करने के बाद कर्मचारी अपने पंसदीदा क्षेत्र में तबादले का हकदार हैं। मानदंड मेें यह कहीं भी यह नहीं बताया गया है कि तबादले का दावा केवल रिक्ति के विरुद्ध ही माना जाना चाहिए।याचिकाकर्ता ने वन विभाग के चंबा जिले के पांगी में तीन साल से अधिक समय तक कठिन जनजातीय क्षेत्रों में सेवा दी थी। उन्होंने स्थानांतरण नीति के तहत विभाग के समक्ष अपनी पसंद के स्थानों पर तबादले के लिए आवेदन किया था। 

याचिकाकर्ताओं का मुख्य तर्क था कि वन विभाग में कई ऐसे वन रक्षक हैं, जिन्होंने अभी तक कठिन व जनजातीय क्षेत्रों में सेवा नहीं दी हैं। फिर भी जिन कर्मचारियों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया है, उन्हें स्टाफ की कमी के बहाने स्थानांतरित नहीं किया जा रहा है, लेकिन वन संरक्षक (टी), चंबा वन वृत्त ने उनके आवेदन को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि वहां पर फ्रंटलाइन स्टाफ की भारी कमी है। याचिकाकर्ताओं ने इसी आदेश को चुनौती दी थी। हाईकोर्ट में इस मामले से संबंधित दायर सभी याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह आदेश पारित किए हैं।



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