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कुलपति की अनुमति के बगैर पांच विभागाध्यक्षों की नियुक्ति के मामले में फैसला वापस

                                   एचपीयू के यूआईटी में बिना अनुमति नियुक्त पांचों एचओडी हटाए

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) ने कुलपति की अनुमति के बगैर पांच विभागाध्यक्षों की नियुक्ति के मामले में फैसला वापस ले लिया है। 

प्रारंभिक जांच में नियुक्तियां नियमानुसार नहीं पाए जाने पर एचपीयू के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (यूआईटी) के तहत पांचों विभागाध्यक्षों को पदों से हटा दिया है। यह मामला राज्य सूचना आयोग में हुई एक अपील से उजागर हुआ था। अमर उजाला ने 29 मई के अंक में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया था।यूआईटी के निदेशक एजे सिंह ने विभागाध्यक्षों को पदों से हटाने के आदेश जारी किए हैं। निदेशक ने अपने आदेश में कहा कि 5 जुलाई 2021 को एक कार्यालय आदेश के तहत हर विभाग से वरिष्ठ फैकल्टी सदस्यों को विभागाध्यक्ष के रूप में कार्य करने के लिए नियुक्ति दी गई थी, जिसे प्रशासनिक कारणों से तत्काल वापस लिया जाता है। तीन विभागों की रूटीन शैक्षणिक गतिविधियों को संस्थान के समन्वयक डॉ. श्याम चंद और दो में डॉ. प्रवीण कुमार शर्मा देखेंगे।


एचपीयू यूआईटी में पांच विभागों में प्राध्यापकों को एचओडी पर पदोन्नति दे दी थी, जबकि नियमों में इसका कोई प्रावधान ही नहीं था। हालांकि, इन्हें अस्थायी विभागाध्यक्ष नाम दिया गया। विभागाध्यक्षों की अस्थायी नियुक्तियां संस्थान के अनुप्रयुक्त विज्ञान एवं मानविकी, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं संचार, सूचना प्रौद्योगिकी, कंप्यूटर विज्ञान एवं इंजीनियरिंग, सिविल इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में की गई थीं। नादौन के विनय कुमार की अपील पर सुनाए गए फैसले में सूचना आयुक्त डॉ. एसएस गुलेरिया ने टिप्पणी की थी कि ऐसा लग रहा है कुछ फैकल्टी सदस्यों को अवांछित लाभ देने के लिए ऐसा किया गया। उन्होंने एचपीयू के रजिस्ट्रार को निर्देश दिए थे कि एचओडी की नियुक्तियों के मामले में जांच करें। इन्हें कुलपति की मंजूरी के बगैर और बिना किसी प्रावधान के कैसे नियुक्त किया गया। इस पर विवि के रजिस्ट्रार ज्ञान सागर नेगी ने जांच बैठाई। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि अस्थायी विभागाध्यक्षों की नियुक्तियां नियमानुसार नहीं की गई हैं।




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