क्षेत्र पूरी तरह से देवदार के घने जंगलों से ढका हुआ
मंडी,ब्यूरो रिपोर्ट
घने देवदारों के बीच हरी घास का खुला ढलानदार मैदान और साथ ही चट्टानों से अठखेलियां करता निर्मल-उजला पहाड़ी नदी-नालों का पानी। हरे-भरे खेतों में लहलहाती फसल और दूर कहीं गांव के पीछे ढलते सूरज का नजारा। जी हां, हम बात कर रहे हैं देवीदढ़ की।
हिमाचल के अलावा पंजाब, हरयाणा, चंडीगढ़ व दिल्ली से भी पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। चंडीगढ़ से आए दंपत्ती मीना एवं विद्या सागर ने बताया कि वे अकसर यहां घूमने आते रहते हैं।यहां का शांत वातावरण व स्वच्छ हवा उन्हें काफी भाती है। मंडी से आए गगनेश ने बताया कि गर्मी से राहत पाने यहां आए हैं। यहां ताजा हवा, मनमोहक नजारे और देवी दर्शन का आनंद मिला। देवीदढ़ का नाम यहां स्थित माता मुंडासन से जुड़ा है। स्थानीय ग्रामीण नारायण सिंह बताते हैं कि दढ़ का शाब्दिक अर्थ मैदान होता है और देवी शब्द जुड़ने से इसका अर्थ हुआ देवी का मैदान। माता मुंडासन का एक छोटा सा मंदिर यहां स्थित है। बकौल नारायण सिंह देवी मुंडासन मंडी जनपद के आराध्य देव कमरूनाग की बहन मानी गई हैं। मेले के दौरान देव कमरूनाग के पुजारी पांच दिन यहां निवास करते हैं।
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