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आपदा राहत शिविर थुनाग में बच्चों की आंखों में झलक रहा दर्द

                                                       तेज बारिश होने पर डर फिर लौटने लगता है

मंडी,ब्यूरो रिपोर्ट

समय : रात 11:20 बजे। आपदा राहत शिविर थुनाग में मनीषा, यशसिका, लक्षिता, जागृत और तान्या जैसे बच्चों की आंखों में दर्द और उम्मीद झलक रही है। हर रोज बारिश हो रही है। तेज बारिश होने पर डर फिर लौटने लगता है। इन बच्चों के घर और गांववासियों के व्यवसाय का साधन सब कुछ थुनाग बाजार में था। आपदा में सब तबाह हो गया।

चार साल का जागृत कभी हंसकर अपने बचपन को जिंदा रखने की कोशिश करता है, तो कभी अचानक रो पड़ता है। दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली तान्या की चिंता अपनी पढ़ाई को लेकर साफ दिखती है। उसके सपनों पर विराम सा लग गया है। डरी-सहमी मनीषा के पास नोटबुक नहीं है, फिर भी वह लिखना चाहती है। अपने भावों को कागज पर उतारने की लालसा उसकी आंखों में साफ झलकती है। ये पांच परिवारों के बच्चे अब एक परिवार बन गए हैं। शिविर में 36 लोग एक-दूसरे के सहारे जी रहे हैं। 

इनमें घनश्याम भी शामिल हैं, जो बैंक में एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट हैं और अपने तीन बच्चों के साथ चमन के किरायेदार थे। दूसरी मंजिल तक पानी भरने से उनका सारा सामान खराब हो गया है और निचला हिस्सा ढह गया। अब ये सभी शिविर में रह रहे हैं।रात की खामोशी में इन बच्चों की हंसी-खेल और चिंता की बातें एक-दूसरे में घुल-मिल जाती हैं। मनीषा, यशसिका और लक्षिता अब सहेलियां बन गई हैं। मोबाइल की स्क्रीन पर कार्टून चल रहे हैं और ये तीनों मिलकर अपने गम को भुलाने की कोशिश कर रही हैं। हल्की मुस्कान उनके चेहरों पर लौट रही है जैसे कार्टून की रंगीन दुनिया उन्हें थोड़ा सा सुकून दे रही हों। आपदा ने गहरे जख्म दिए हैं, लेकिन इनकी उम्मीद अभी बची है। शायद यही उन्हें आगे बढ़ने की ताकत दे रही है।


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