नेरी कॉलेज के वैज्ञानिकों को मिली सफलता
हमीरपुर,ब्यूरो रिपोर्ट
अब हिमाचल प्रदेश में भी लाख (लाक्षा) कीट पालन और उत्पादन होगा। राजकीय उद्यानिकी एवं वानिकी महाविद्यालय नेरी के वैज्ञानिकों ने लाख कीट को विकसित करने में सफलता हासिल की है। शोध में सामने आया है कि हिमाचल का वातावरण लाख कीट के लिए पूरी तरह उपयुक्त है। यह राज्य में पहली बार किए गए ट्रायल की सफलता है, जिससे भविष्य में किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ होने की संभावना है।
लाख से गोंद, लकड़ी पॉलिश, स्याही, इलेक्ट्रिक इंसुलेटर, सौंदर्य प्रसाधन और लुब्रिकेंट जैसे उत्पाद तैयार किए जाते हैं। लाख की बाजार में कीमत 1,500 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है। आंकड़ों के अनुसार भारत से उत्पादित लाख का 30 प्रतिशत भाग जर्मनी और अमेरिका को निर्यात किया जाता है।कीट विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. वीरेंद्र राणा ने बताया कि शेर-ए-कश्मीर कृषि विश्वविद्यालय, जम्मू से लाए गए लाख कीटों को खैर के पेड़ की टहनियों पर स्थापित किया गया। यह प्रयोग सफल रहा। बीएससी अंतिम वर्ष के छात्रों को इस विषय में प्रशिक्षण भी दिया गया है।शोध में पाया है कि हमीरपुर सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों की जलवायु लाख कीटों के पालन के लिए उपयुक्त है।
अब इसका विस्तार कर किसानों को भी प्रशिक्षित किया जाएगा ताकि वे व्यावसायिक स्तर पर लाख उत्पादन कर सकें।लाख कीट को खैर, पीपल और बैर के पेड़ विशेष रूप से पसंद हैं। ये कीट इन पेड़ों की टहनियों पर रहते हैं। वहीं से पोषण प्राप्त करते हैं। बाद में टहनियों को स्क्रैप कर लाख उत्पादन के लिए उपयोग में लाया जाता है। इसके लिए 25 डिग्री तक तापमान होना जरूरी है। यह कीट पीला संतरी और लाल रंग का होता है। पीले रंग का कीट ज्यादा कीमती होता है। इन कीटों में भी नर और मादा होते हैं। मादा कीट लाख उत्पाद बनाने काम करते हैं। नर कीट केवल मैचिंग काम करते हैं।लाख कीट एक वर्ष के भीतर किसानों को उपलब्ध होने की संभावना है। ट्रायल की सफलता के बाद अब उत्पादन क्षमता को लेकर विशेष शोध किया जाएगा। इस शोध के पूरा होने पर किसानों को इसका व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।
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