Ticker

6/recent/ticker-posts

Header Ads Widget

शहरी स्थानीय निकायों में वार्डों के परिसीमन से संबंधित महत्वपूर्ण फैसला,जानिए

                                                            प्राप्ति की तारीख से ही मानी जाएगी गणना

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट

हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय ने शहरी स्थानीय निकायों में वार्डों के परिसीमन से संबंधित महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि उपायुक्त द्वारा पारित आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की सात दिन की समय-सीमा उस तिथि से गिनी जाएगी, जब अपीलकर्ता को आदेश की प्रति भौतिक रूप से प्राप्त होती है, न कि उस तिथि से जब आदेश पारित किया गया हो।

न्यायालय ने मंडलायुक्त की ओर से 7 जुलाई 2025 को पारित आदेश को निरस्त कर दिया और मामले को दोबारा विचार के लिए मंडलायुक्त को भेज दिया। न्यायालय ने सभी पक्षों को 17 जुलाई को मंडलायुक्त के समक्ष उपस्थित होने का निर्देश देते हुए कहा कि मंडलायुक्त 5 दिनों के भीतर अपील का गुण-दोष के आधार पर निपटारा करें।अदालत ने टिप्पणी की कि जब तक आपत्तिजनक आदेश की प्रति पीड़ित पक्ष को भौतिक रूप से नहीं मिलती, तब तक यह नहीं माना जा सकता कि वह आदेश की सामग्री से अवगत है और उसके विरुद्ध अपील दाखिल करने की स्थिति में है। जब उपायुक्त कार्यालय यह प्रमाणित नहीं कर सका कि आदेश की प्रति याचिकाकर्ता को कब सौंपी गई, तो अदालत ने यह मान लिया कि उसे यह प्रति 21 जून 2025 को प्राप्त हुई थी। इस आधार पर 25 जून को दायर की गई अपील निर्धारित समयसीमा के भीतर मानी गई।

याचिकाकर्ता शिव सिंह सेन ने सुंदरनगर नगर परिषद के वार्डों के परिसीमन के खिलाफ आपत्तियां दायर की थीं। उन्हें उपायुक्त मंडी ने 16 जून को खारिज कर दिया। आदेश की भौतिक प्रति उन्हें 21 जून को प्राप्त हुई, और उन्होंने 25 जून को मंडलायुक्त के समक्ष अपील दायर की। हालांकि, मंडलायुक्त ने इसे समयबद्ध सीमा से बाहर बताते हुए अस्वीकार कर दिया। इसके बाद याचिकाकर्ता उच्च न्यायालय पहुंचे। न्यायालय ने 4 जुलाई को आदेश पारित करते हुए मंडलायुक्त को निर्देश दिया कि वह अपील पर गुण-दोष के आधार पर निर्णय लें। बावजूद इसके मंडलायुक्त ने 7 जुलाई को अपील को पुनः समयसीमा से बाहर बताते हुए खारिज कर दिया।न्यायालय ने पाया कि राज्य चुनाव आयोग की 24 मई 2025 की अधिसूचना, जिसमें आदेश के सात दिन के भीतर अपील दायर करने का प्रावधान है, उसकी व्याख्या इस तरह नहीं की जा सकती कि आदेश की प्राप्ति तिथि की अनदेखी की जाए।


Post a Comment

0 Comments

किन्नौर कैलाश के दर्शन कर छलक आईं आंखें