हिमाचल प्रदेश की कई परियोजनाओं पर असर संभव
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) की तैयारी में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। मंत्रालय की ओर से जारी नए निर्देश के अनुसार, ऐसी सभी डीपीआर जो तीन साल से अधिक समय से लंबित हैं और जिन पर अभी तक परियोजना का काम शुरू नहीं हुआ है, उन्हें बंद कर दिया जाएगा।
इस फैसले का हिमाचल में चल रही कई राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं पर असर पड़ने की आशंका है।मंत्रालय की ओर से अवर सचिव शोभा बासिल ने इस संबंध में एक जुलाई को मुख्य सचिव प्रबोध सक्सेना को पत्र लिखकर इन निर्देशों से अवगत करवाया है। मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि डीपीआर तैयार करने की समय-सीमा 10 महीने और उनकी जांच के लिए 2 महीने निर्धारित की गई है। हालांकि, फील्ड में आ रही समस्याओं को देखते हुए डीपीआर के लिए समय-सीमा बढ़ाने का अधिकार संबंधित अधिकारियों को दिया गया था। अब नए दिशा-निर्देशों के तहत राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड, राज्य लोक निर्माण विभाग, सीमा सड़क संगठन और परियोजना कार्यान्वयन इकाइयों से संबंधित उन सभी डीपीआर को बंद कर दिया जाएगा, जहां परामर्श सेवाओं के शुरू होने की तारीख से 3 साल के भीतर परियोजनाओं को मूल्यांकन या अनुमोदन के लिए नहीं लिया गया है।
निर्देशों में स्पष्ट किया गया है कि वित्तीय वर्ष 2022-23 या उससे पहले शुरू की गई ऐसी डीपीआर, जिनमें संरेखण योजना, संरेखण विकल्प या ड्राफ्ट डीपीआर अब तक सलाहकार द्वारा जमा नहीं की गई है, उन्हें बंद कर दिया जाएगा। ऐसी परियोजनाएं जो 20 सितंबर 2024 से पहले मंत्रालय के कार्यालय ज्ञापन के अनुसार गठित संरेखण अनुमोदन समिति द्वारा अनुमोदित हो चुकी हैं, लेकिन अब तक वाइल्ड लाइफ, वन स्वीकृति या अन्य किसी क्लीयरेंस की प्रतीक्षा में हैं, और जिनके वित्तीय वर्ष 2025-26 में कार्यान्वयन की कोई संभावना नहीं है, उन्हें भी बंद कर दिया जाएगा।इसके अतिरिक्त वाइल्ड लाइफ क्लीयरेंस, फॉरेस्ट क्लीयरेंस, वन्यजीव शमन उपाय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की अनुमति, रक्षा प्रतिबंधों या किसी भी चल रहे अदालती मामलों जैसे विभिन्न कारणों से लंबित डीपीआर की समीक्षा संबंधित क्षेत्रीय प्रमुखों, एनएचएआई सदस्यों और एनएचआईडीसीएल निदेशक द्वारा की जाएगी।
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