गादेन फोडरंग ट्रस्ट के पास भावी पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार
काँगड़ा,रिपोर्ट नेहा धीमान
दलाई लामा के पुनर्जन्म को लेकर आज से तीन दिन तक महामंथन हो रहा है। बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा तिब्बत की चार प्रमुख बौद्ध परंपराओं के धर्मगुरुओं के साथ चर्चा करेंगे। दलाई लामा पहले ही चीन से बाहर किसी स्वतंत्र समाज में पुनर्जन्म की बात कर चुके हैं। जबकि चीन ने दलाई लामा के बयान का खंडन किया था, चीन उत्तराधिकारी नियंत्रित करने में जुटा है ।
इस दौरान दलाई लामा संस्था की निरंतरता की पुष्टि करने वाला एक वक्तव्य सामने आया है। इस वक्तव्य के अनुसार 24 सितंबर 2011 को तिब्बती आध्यात्मिक परंपराओं के प्रमुखों की एक बैठक में दलाई लामा ने तिब्बत में और उसके बाहर रहने वाले साथी तिब्बतियों, तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायियों और तिब्बत और तिब्बतियों से जुड़े लोगों के सामने एक बयान दिया था, जिसमें पूछा था कि क्या दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए। उन्होंने कहा, '1969 में ही मैंने स्पष्ट कर दिया था कि संबंधित लोगों को यह तय करना चाहिए कि भविष्य में दलाई लामा के पुनर्जन्म को जारी रखा जाना चाहिए या नहीं।' दलाई लामा ने यह भी कहा, 'जब मैं लगभग नब्बे वर्ष का हो जाऊंगा तो मैं तिब्बती बौद्ध परंपराओं के उच्च लामाओं, तिब्बती जनता और तिब्बती बौद्ध धर्म का पालन करने वाले अन्य चिंतित लोगों से परामर्श करूंगा, ताकि इस बात का पुनर्मूल्यांकन किया जा सके कि दलाई लामा की संस्था जारी रहनी चाहिए या नहीं।
'हालांकि दलाई लामा ने इस मुद्दे पर कोई सार्वजनिक चर्चा नहीं की है, लेकिन पिछले 14 वर्षों में तिब्बत की आध्यात्मिक परंपराओं के नेताओं, निर्वासित तिब्बती संसद के सदस्यों, विशेष आम सभा की बैठक में भाग लेने वालों, केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सुदस्यों, गैर सरकारी संगठनों, हिमालयी क्षेत्र, मंगोलिया, रूसी संघ के बौद्ध गणराज्यों और मुख्य भूमि चीन सहित एशिया के बौद्धों ने उन्हें कारणों के साथ पत्र लिखकर आग्रह किया है कि किया है कि दलाई लामा की संस्था जारी रहे। विशेष रूप से तिब्बत में रहने वाले तिब्बतियों से से विभिन्न माध्यमों से संदेश मिले हैं जिनमें यही अपील की गई है। इन सभी अनुरोधों के अनुसार, वह पुष्टि कर रहे हैं कि दलाई लामा की संस्था जारी रहेगी।भावी दलाई लामा को मान्यता देने की प्रक्रिया 24 सितंबर 2011 के बयान में स्पष्ट रूप से स्थापित की गई है, जिसमें कहा गया है कि ऐसा करने की जिम्मेदारी केवल परम पावन दलाई लामा के कार्यालय, गादेन फोडरंग ट्रस्ट के सदस्यों पर होगी। उन्हें तिब्बती बौद्ध परंपराओं के विभिन्न प्रमुखों और दलाई लामाओं की वंशावली से अविभाज्य रूप से जुड़े विश्वसनीय शपथबद्ध धर्म रक्षकों से परामर्श करना चाहिए। उन्हें तदनुसार पिछली परंपरा के अनुसार खोज और मान्यता की प्रक्रियाओं को पूरा करना चाहिए। दलाई लामा ने कहा था कि मैं पुनः दोहराता हूं कि गादेन फोडरंग ट्रस्ट को भावी पुनर्जन्म को मान्यता देने का एकमात्र अधिकार है, किसी अन्य को इस मामले में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है।
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