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आखिर कैसे एसडीआरएफ की टीम बनी महिलाओं के लिए देवदूत

                                                     सात किलोमीटर पैदल सफर कर पहुंचाईं अस्पताल

मंडी,ब्यूरो रिपोर्ट 

प्राकृतिक आपदा में प्रभावित लोगों की जान बचाने के लिए राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के जवान देवदूत बनकर सामने आए हैं। जिला के सराज में बारिश से हुई भारी तबाही के बीच जनजीवन अस्त व्यस्त है। हर तरफ रास्ते बंद हो गए हैं। 

संचार सुविधा ठप है। मंगलवार को गोहर उपमंडल के केलोधार के गांव तलवाना में तीन गर्भवती महिलाएं फंस गईं। ऐसे में कीचड़ भरे रास्तों में पेड़ों को हटाते हुए एसडीआरएफ के जवान केलोधार पहुंचे और तीनों गर्भवती महिलाओं को पालकी पर उठाकर करीब सात किलोमीटर पैदल सफर कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पलवाड़ा पहुंचाया। जानकारी के अनुसार सड़क मार्ग पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका था।गांव चारों ओर से भूस्खलन और मलबे से घिरा था। एक गर्भवती महिला की तबीयत बिगड़ रही थी और स्थिति हर पल गंभीर हो रही थी। ऐसे में गांव वाले उसे पालकी पर उठाकर सड़क तक पहुंचा रहे थे। लेकिन रास्तों की हालत  खराब होने पर वह फंस गए। बाद में इसकी सूचना एसडीआरएफ को दी गई।

एसडीआरएफ की टीम ने बिना समय गंवाए जोखिम उठाते हुए इन महिलाओं को सुरक्षित निकालने का बीड़ा उठाया। न कोई वाहन पहुंच सकता था, न कोई मशीनरी। ऐसे में भारी वर्षा के बीच जवानों ने कीचड़, मलबे और फिसलन भरे खतरनाक रास्तों को पार करते हुए पैदल गांव तक पहुंचने का निर्णय लिया।एक गर्भवती महिला के पति ने कांपती आवाज में कहा कि अगर जवान समय पर न पहुंचते, तो शायद पत्नी और बच्चे दोनों को खो देता। यह हमारे लिए भगवान से कम नहीं हैं। महिलाओं को सुरक्षित पहुंचाने के बाद एसडीआरएफ टीम ने थकने का नाम नहीं लिया। वहीं से तुरंत थुनाग के लिए रवाना हो गई, जहां वर्षा व भूस्खलन ने तबाही मचा रखी है। एसडीआरएफ के पुलिस अधीक्षक अर्जित सेन ने बताया कि तीनों गर्भवती को पालकी के सहारे अस्पताल तक पहुंचाया है। अब टीम बंद रास्ते बहाल करने में मदद कर रही है।


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