गन्ने की कमी तोड़ रही पहली चीनी मिल खुलने की आस
काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट
विधानसभा क्षेत्र इंदौरा में प्रस्तावित जिले की पहली चीनी मिल की राह में गन्ने का कम उत्पादन बाधा बन गया है। चीनी मिल मालिकों का कहना है कि हिमाचल में उस स्तर पर गन्ने का उत्पादन नहीं हो रहा, जितना चीनी मिल को चलाने के लिए चाहिए। अगर प्रदेश सरकार किसानों को गन्ने के उत्पादन के प्रति प्रेरित करती है और गन्ने का उत्पादन भविष्य में बढ़ता है तो शुगर मिल स्थापित करने पर विचार हो सकता है।
फिलहाल जिस तरह मिल संचालकों ने यहां उद्योग लगाने से हाथ पीछे खींचे हैं, जो कांगड़ा जिला के किसानों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। उधर, जिला प्रशासन चीनी मिल लगाने के लिए प्रयासरत है। प्रशासन की ओर से अब दुग्ध समितियों की तरह गन्ना उत्पादक समितियां बनाए जाने का प्लान बनाया जा रहा है और कृषि विभाग के माध्यम से उच्च गुणवत्ता का बीज उपलब्ध करवाने की भी तैयारी चल रही है।दरअसल प्रदेश सरकार ने बीते माह जिला प्रशासन और कृषि विभाग को विधानसभा इंदौरा में शुगर मिल स्थापित करने की संभावनाएं तलाशने और इससे संबंंधित तमाम औपचारिकताएं जल्द पूरी करने के निर्देश दिए हैं। कांगड़ा जिला के अंतर्गत आते फतेहपुर, इंदौरा, जवाली, नूरपुर समेत कुछ अन्य विधानसभा क्षेत्रों में करीब 719 हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती होती है। क्षेत्र की जलवायु और भूमि गन्ना उत्पादन के लिए अनुकूल है, लेकिन किसानों को अपनी फसल पड़ोसी राज्यों की चीनी मिलों में ले जानी पड़ती है।
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इंदौरा में चीनी मिल स्थापित होने से किसानों को अपने ही प्रदेश में उपज का उचित मूल्य मिलेगा और उनका समय व लागत दोनों की बचत होगी। जम्मू-कश्मीर और पंजाब के किसानों को भी शुगर मिल का लाभ पहुंचेगा।इंदौरा के मीलवां में कृषि विभाग का करीब 49 हेक्टेयर भूमि पर अपना फार्म भी है, जहां पर धान और गेहूं के उन्नत किस्म के बीज तैयार किए जाते हैं। अगर यहां पर गन्ना उत्पादन एवं बीज की बेहतर किस्मों की संभावनाओं पर भी अनुसंधान किया जाए तो भविष्य में अच्छे परिणाम सामने आ सकते हैं।जिला कांगड़ा के इंदौरा विधानसभा क्षेत्र में चीनी मिल स्थापित होगी। दुग्ध समितियों की तरह गन्ना उत्पादक समितियां बनाई जाएंगी और कृषि विभाग के माध्यम से उच्च गुणवत्ता का बीज उपलब्ध भी करवाया जाएगा। -हेमराज बैरवा, उपायुक्त कांगड़ा।किसानों और चीनी मिल के संचालकों से बैठक करने पर यह बात सामने आई है कि प्रदेश में गन्ने का कम उत्पादन होता है। कम उत्पादन के चलते इंदौरा में चीनी मिल स्थापित करना उद्योग संचालकों के लिए मुश्किल काम है।
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