सेब के पेड़ों को काटने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची सरकार
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
सरकारी भूमि पर अवैध कब्जाधारियों को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट से फौरी तौर पर राहत मिल गई है। हाईकोर्ट ने अतिक्रमणकारियों पर जबरन बेदखली कर अंतरिम रोक लगा दी है। न्यायाधीश अजय मोहन गोयल की अदालत ने इस मामले में प्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए छह सप्ताह के भीतर अपना जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि अगले आदेश तक याचिकाकर्ताओं के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।
याचिकाकर्ताओं ने कलेक्टर सह-वन मंडल अधिकारी यानी डीएफओ रामपुर की बेदखली के आदेशों को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।इसके साथ ही एक आवेदन भी दायर किया गया है, जिसके तहत याचिकाकर्ताओं को विवादित भूमि से बेदखल करने पर रोक लगाने की मांग की गई थी। यह मामला हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के तहसील ननखड़ी के बाजार का है। याचिकाकर्ता 1970-80 के बाद से यहां पर अपनी दुकानें और ढारे चला रहे हैं। इनमें से कुछ तो इससे भी पहले के हैं, जो यहां पर दुकानों को चलाकर अपने परिवार का जीवनयापन कर रहे हैं। उधर, ठियोग के पूर्व विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि वह हाईकोर्ट के इस फैसले का स्वागत करते हैं। न्यायालय ने अंतरिम आदेश को पारित करते हुए मानवता दिखाई है। राज्य सरकार अपनी बात अदालत में रखने में नाकामयाब रही है। जिससे गरीब तबके पर मार पड़ रही है। वन भूमि पर अतिक्रमण वाले बगीचों में फलों से लदे सेब के पेड़ों के कटान के खिलाफ हिमाचल प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है।
राज्य सरकार उच्चतम न्यायालय में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने जा रही है। राज्य सरकार के महाधिवक्ता अनूप रतन सोमवार को नई दिल्ली पहुंच गए। उनके साथ विधि विशेषज्ञ भी गए हैं। महा हैं। महाधिवक्ता अनूप रतन ने कहा कि प्रदेश सरकार की मंशा है कि फलों से लदे पेड़ों को न काटा जाए, क्योंकि ये हमारी संस्कृति के भी खिलाफ है। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के आदेशों के खिलाफ हिमाचल प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। रतन ने कहा कि एसएलपी तैयार कर दी गई है। सरकार जिला शिमला के चैथला और कुमारसैन के सराहन गांवों में फलों से लदे सेब के पौधों को काटने के जारी आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय गई है। अनूप रतन ने कहा कि वह अपील करेंगे कि प्रदेश सरकार इन बगीचों को काटने के आदेश पर फिलहाल रोक लगाए। हाईकोर्ट के आदेश के तहत लोगों को बेघर भी होना पड़ रहा। प्रदेश में जिस तरह से बरसात चली हुई है, ऐसे में लोगों को घरों से भी बेदखल करना भी उपयुक्त नहीं है।
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