कार्यालय के बाहर धरना दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की
काँगड़ा,ब्यूरो रिपोर्ट
केंद्रीय ट्रेड यूनियनों की ओर से राष्ट्रव्यापी हड़ताल में सीटू और इंटक से जुड़ी यूनियनों ने बुधवार को धर्मशाला की गांधी वाटिका से उपायुक्त कार्यालय तक रैली निकाली। रैली के माध्यम से 3,000 के करीब कर्मचारियों और कामगारों ने श्रम संहिताओं को तत्काल वापस लेने और निरस्त श्रम कानूनों को बहाल करने समेत अन्य मांगें उठाईं।इस दौरान उन्होंने उपायुक्त कार्यालय के बाहर धरना दिया और केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस दौरान उपायुक्त कांगड़ा हेमराज बैरवा के माध्यम से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि केंद्र की मोदी सरकार ने मजदूर, किसान और आम जनता विरोधी नीतियां लागू की हैं। इनका वे विरोध करते हैं। इस प्रदर्शन में टांडा मेडिकल काॅलेज कार्यकर्ता यूनियन के सफाई कर्मचारी, लांड्री कर्मचारी, मैस कार्यकर्ता, रेहडी-फडी यूनियन धर्मशाला, भवन एवं सड़क निर्माण यूनियन, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं एवं हैल्पर यूनियन और मिड डे मील वर्कर सहित रैली में 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के कर्मचारियों और कामगारों ने भाग लिया।रैली के माध्यम से प्रदर्शनकारियों ने मांग उठाई कि सरकारी कांट्रैक्ट, पार्ट टाइम सहित सभी तरह के आउटसोर्स व ठेकेदारी प्रथा के अंतर्गत भर्ती किए गए कर्मियों को नियमित करके स्थायी रोजगार दिया जाए। वर्तमान जीवनयापन सूचकांक के आधार पर राष्ट्रीय न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये प्रति माह घोषित किया जाए।
मांग रखी कि बैंक, बीमा, बीएसएनएल, रक्षा का क्षेत्र, रेलवे, राष्ट्रीय राजमार्ग इत्यादि सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का विनिवेश और निजीकरण बंद किया जाए। इसके साथ ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका, आशा कार्यकर्ता तथा मिड डे मील योजना कर्मियों को सरकारी कर्मचारी घोषित कर पेंशन और ग्रेच्युटी सहित अन्य सरकारी सुविधाएं दी जाए। रेड़ी, फड़ी और सड़क के किनारे बैठकर रोजी रोटी कमाने वाले फुटकर विक्रेताओं के हितों की सुरक्षा के लिए स्ट्रीट वेंडर्ज एक्ट को सख्ती से लागू किया जाएं या उठाने से पहले इन्हें वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराया जाए। अनाज और अन्य जीवनोपयोगी खाद्य वस्तुओं को जीएसटी के दायरे से बाहर किया जाए। मांग रखी कि मनरेगा मजदूरों को 200 दिन के रोजगार की गारंटी हो।
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