छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई की बड़ी कार्रवाई
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
बहुचर्चित छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। धन शोधन मामले के मुख्य आरोपी अरविंद राज्टा की पत्नी बबीता राज्टा ने आपराधिक तरीके से प्राप्त 29.11 करोड़ रुपये शराब कंपनी, होटल फर्म और साझेदारों में निवेश किए हैं।
सीबीआई कोर्ट शिमला में दाखिल चार्जशीट में यह जानकारी सामने आई है। सीबीआई ने मामले में एएसएएमएस एजुकेशन ग्रुप के साझेदार राजदीप सिंह और आईटीएफटी कर्मी कृष्ण कुमार को भी आरोपी बनाया है। वहीं, सीबीआई की विशेष अदालत ने अरविंद राजटा, बबीता राज्टा, बानो देवी, अविनाश राज्टा सहित रानी के बैंक खातों और एफडी को डी-फ्रीज करने की मांग को खारिज कर दिया है।चार्जशीट के मुताबिक आरोपियों ने 2014-15 में उच्च शिक्षा विभाग से फर्जी विद्यार्थियों के नाम पर 29.80 करोड़ रुपये की छात्रवृत्ति राशि का दावा किया, जिसमें से 29.11 करोड़ का धन शोधन हुआ। छात्रवृत्ति हड़पने के लिए आरोपियों ने तीन फर्जी कंपनियां बनाई थीं। इनके माध्यम से विद्यार्थियों के खातों में भेजी राशि को एएसएएमएस एजुकेशन ग्रुप के खाते में ट्रांसफर कराया गया। जांच में पता चला कि बबीता की एएसएएमएस ग्रुप में 33 प्रतिशत हिस्सेदारी थी।
उसने एजुकेशन ग्रुप के खाते से छात्रवृत्ति की राशि निकालकर देवर अविनाश राज्टा की शराब कंपनी में निवेश कर दी।उसके साझेदार अशोक ठाकुर और देवेंद्र सिंह के खातों में भी रकम ट्रांसफर की गई। इसके अलावा, बबीता ने अपने भाई राकेश की साझेदारी वाली होटल/रिसॉर्ट फर्म में भी बड़ी धनराशि निवेश की। सीबीआई शिमला शाखा ने 7 मई 2019 आईपीसी की धारा 409, 419, 465, 466, 471, 120 (बी) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 (1) (सी) और 13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) के तहत दर्ज मामले की जांच के दौरान 5 खातों समेत 9 एफडी को फ्रीज कर दिया था। आरोपी बबीता राज्टा ने सीबीआई अदालत में बैंक खातों और एफडी को डी-फ्रीज करने के लिए याचिका दाखिल की थी, लेकिन विशेष न्यायाधीश डॉ. परविंदर सिंह अरोड़ा ने इसे खारिज कर दिया। अदालत ने माना कि इन खातों का उपयोग आपराधिक आय को जमा करने और स्थानांतरित करने के लिए किया गया था। इसलिए फिलहाल खातों की फ्रीजिंग को हटाना जांच में बाधा बन सकता है।
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