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हिमाचल में 91 ब्लॉकों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिटें बनेगी

                                                      पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कदम

शिमला, ब्यूरो रिपोर्ट 

हिमाचल प्रदेश के हजारों गांव आने वाले छह महीनों में स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त बनाने की दिशा में अग्रसर होंगे। केंद्र सरकार के स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) में प्रदेश के हर ब्लॉकों में प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट यूनिट (पीडब्लयूयूएम) स्थापित की जाएंगी। इन यूनिटों का उद्देश्य गांवों में फैल रहे प्लास्टिक कचरे को एकत्र कर वैज्ञानिक तरीके से निपटान करना है।

पहले चरण में 50 और दूसरे चरण में 41 ब्लॉकों में इन यूनिटों की स्थापना का कार्य शुरू किया जाएगा। हर ब्लॉक को इसके लिए लगभग 16 लाख रुपये की राशि प्रदान की जाएगी। प्रत्येक यूनिट में प्लास्टिक कटर मशीन, बैलिंग मशीन और डस्ट रिमूवर मशीन लगाई जाएगी। इससे प्लास्टिक को काटाकर, साफ कर और कंप्रेस कर निपटान के लिए तैयार किया जाएगा।इन यूनिटों के बनने से गांवों में प्लास्टिक वेस्ट यहां-वहां नहीं बिखरेगा। ग्रामीण विकास विभाग के अनुसार घरों से निकलने वाला प्लास्टिक कचरा निर्धारित समय पर घर-घर से एकत्र किया जाएगा। इसके लिए गांवों में मुनादी कराई जाएगी ताकि लोग अपने घरों में गीला और सूखा कचरा के साथ में प्लास्टिक अलग से जमा कर सकें। इन यूनिटों का संचालन युवक, महिला मंडलों, स्वयं सहायता समूहों या ग्राम पंचायतें अपने स्तर पर करेंगी। प्लास्टिक बेचने से होने वाली आमदनी पंचायतों और संचालन समूहों के बीच साझा की जाएगी। इससे ग्रामीणों को रोजगार के नए अवसर भी मिलेंगे। ग्रामीण विभाग के निदेशक राघव शर्मा ने बताया कि सभी जिलों को छह महीनों में ठोस कचरा प्रबंधन, सफाई व्यवस्था और प्लास्टिक निपटान व्यवस्था को प्रभावी ढंग से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।



प्रत्येक पंचायत में प्लास्टिक संग्रहण केंद्र बनाया जाएगा। वहां से एकत्रित प्लास्टिक को संबंधित ब्लॉक की प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचाया जाएगा। इन यूनिटों के निर्माण और संचालन की जिम्मेदारी ब्लॉक विकास अधिकारी की होगी। लोग प्लास्टिक अलग से जमा नहीं करेंगे तो उन पर 100 से 1000 रुपये प्रतिदिन तक जुर्माना लगाया जाएगा।राज्य सरकार ने प्लास्टिक कचरे के निष्पादन के लिए एसीसी, अंबुजा और अदाणी सीमेंट उद्योगों के साथ समझौता (एमओयू) किया है। इन उद्योगों में प्रसंस्कृत प्लास्टिक का उपयोग ईंधन के रूप में या सड़क निर्माण जैसे कार्यों में किया जाएगा। साथ ही इसका उपयोग सड़कों के निर्माण में भी किया जाएगा। इससे प्रदेश में प्लास्टिक वेस्ट की समस्या दूर होगी।


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