कर्ज़ में डूबा हिमाचल—भत्ते तक नहीं! सुक्खू सरकार का ‘जश्न’ कर्मचारियों के जख्मों पर नमक: भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ
पंचरुखी,रिपोर्ट केवल कृष्ण
भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ के राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष घनश्याम शर्मा व प्रदेश के अध्यक्ष ब्रह्मानंद ने धर्मशाला में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुक्खू सरकार पर करारा हमला बोला। उन्होंने कहा कि ये कैसा व्यवस्था परिवर्तन है, जिसमें महिला—युवा—कर्मचारी—अधिकारी… हर वर्ग दुखी है, त्रस्त है, लेकिन सुक्खू सरकार मस्त है!नेता ने सुक्खू सरकार के तीन साल के कार्यकाल को “सबसे निराशाजनक और विफल बताया और कहा कि सरकार तीन साल का जश्न मनाने जा रही है, जबकि प्रदेश आपदा से चोटिल है और जनता परेशान।
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने सबसे ज़्यादा कर्ज़ लिया—पर पैसा गया कहां? कर्मचारी भत्ते रुके पड़े हैं, कई विभाग वेतन के लिए तरस रहे हैं, इलाज के बिल अटके पड़े हैं, डीए तक नहीं मिला। हिमकेयर योजना पूरी तरह ठप पड़ी है।पेंशनर्स नेताओं ने कहा कि कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के लिए कर्मचारियों से छल किया।ओपीएस के नाम पर वोट लिए—आज किसी को भी ओपीएस नहीं मिल रहा। ये जनता और कर्मचारियों से किया सबसे बड़ा धोखा है।उन्होंने उपमुख्यमंत्री के उस बयान को भी कटघरे में रखा, जिसमें उन्होंने कहा था कि एचआरटीसी कर्मचारियों को हर महीने की पहली तारीख तक वेतन-पेंशन मिलेगी।कहां है वो घोषणा? कौन-सा विभाग समय पर वेतन पा रहा है?—पेंशनर्स महामंडल ने सवाल दागा।
सबसे बड़ा एलान करते हुए महासंघ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि धर्मशाला में होने वाले विधानसभा सत्र के दौरान ज़ोरावर स्टेडियम में प्रदेश भर के पूर्व कर्मचारी सरकार का बड़े स्तर पर नवंबर 28 को घेराव करेंगे।उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार कर्मचारियों की समस्याओं पर चुप बैठी रही तो आंदोलन और ज़्यादा उग्र होगा। ये पहली सरकार है जो अपने वेतन और भत्ते बढ़ाने में तो आगे है, लेकिन कर्मचारियों की देनदारियाँ चुकाने में पूरी तरह नाकाम साबित हो रही है। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार की प्राथमिकताएँ स्पष्ट रूप से कर्मचारी हितों से हटकर सिर्फ़ सत्ता-सुख की तरफ़ झुक गई हैं।इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्मचारी नेता बलराम पुरी, सुभाष पठानिया, मदन चौधरी और अश्वनी बत्रा भी मौजूद रहे, जिन्होंने एक सुर में सुक्खू सरकार की नीतियों पर गहरी नाराज़गी जाहिर की और कहा कि कर्मचारियों के धैर्य की अब परीक्षा न ली जाए।



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