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दुर्गेश अरण्य प्राणी उद्यान जल्द ही पर्यटकों को आकर्षित करेगा

                      नई व्यवस्थाओं और सुविधाओं के साथ बन रहा है पर्यटकों के लिए खास स्थल

शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट 

कांगड़ा जिले के बनखंडी में दुर्गेश अरण्य प्राणी उद्यान अब धरातल पर आकार लेने लगा है। पूरे क्षेत्र में चहारदीवारी और पेयजल भंडारण स्रोतों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। अस्पताल, क्वारंटीन सेंटर और डायग्नोस्टिक सेंटर के भवनों का निर्माण भी शुरू हो चुका है। विभाग का दावा है कि पहले चरण का कार्य दिसंबर 2026 तक पूरा कर लिया जाएगा। वहीं, जानवरों के लिए अलग-अलग बाड़े बनाने का कार्य केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के माध्यम से टेंडर के जरिये ठेकेदार को आवंटित हो चुका है। टेंडर शर्तों के मुताबिक यह कार्य एक साल के भीतर संबंधित ठेकेदार को पूरा करना होगाबनखंडी में बनने वाले दुर्गेश अरण्य प्राणी उद्यान को आधिकारिक तौर पर आईजीबीसी के साथ पंजीकृत किया गया है।

 यह प्रमाणन पर्यावरण संरक्षण को एकीकृत करने की राज्य सरकार की प्राथमिकता को प्रदर्शित करता है। यह भारत का पहला चिड़ियाघर होगा जिसे सतत और पर्यावरण अनुकूल नवाचार के लिए इंडियन ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आईजीबीसी) से प्रमाणन प्राप्त होगा। इस परियोजना की कुल लागत 619 करोड़ रुपये रखी गई है। दुर्गेश अरण्य प्राणी उद्यान में एशियाई शेर, हॉग डियर, मॉनिटर छिपकली, मगरमच्छ, घड़ियाल और विभिन्न पक्षियों सहित कुल 78 प्रजातियां होंगी। परियोजना से आने वाले समय में पर्यटन कारोबार को भी पंख लगेंगे। सरकार का दावा है कि यह परियोजना कांगड़ा में पर्यटन और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देगी।विभिन्न राज्यों से यहां लाए जाने वाले जानवरों को पहले क्वारंटीन सेंटर में रख जाएगा, जिससे वे कुछ दिन यहां के वातावरण में ढल सकें। उसके बाद उन्हें उनके बाड़े में शिफ्ट किया जाएगा।

 वहीं डायग्नोस्टिक सेंटर में जानवरों के रोगों का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के परीक्षण किए जाएंगे। यहां उन्नत चिकित्सा उपकरणों और तकनीकों का उपयोग करके शारीरिक तरल पदार्थों और नमूनों (जैसे रक्त, मूत्र) का विश्लेषण और इमेजिंग (एक्स-रे, एमआरआई, सीटी स्कैन) सुविधा भी प्रदान की जाएगी।दिसंबर 2026 तक प्रथम चरण का कार्य पूरा होने की उम्मीद है। विभागीय अधिकारी केंद्रीय लोक निर्माण विभाग के साथ लगातार संपर्क में हैं। नया कार्य का टेंडर भी अवार्ड हो गया है। संबंधित निर्माण एजेंसी को एक साल के भीतर यह कार्य पूरा करना है। इस साल अत्यधिक बरसात के कारण काम में थोड़ा विलंब हुआ है लेकिन अब काम तेज गति से शुरू हो चुका है। 


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