जंगली सेब के पेड़ों पर बढ़ती पक्षी गतिविधि से समृद्ध हो रहा स्थानीय जैव-विविधता तंत्र
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हिमाचल प्रदेश में पक्षियों की प्रजातियां बढ़ाने (वर्ड डाइवर्सिटी) में जंगली सेब सहायक सिद्ध हो रहा है। वन विभाग की वन्यप्राणी विंग की ओर से किन्नौर में किए गए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है। वन्यप्राणी विंग ने करीब दो माह किन्नौर के विभिन्न स्थानों पर पक्षियों के खान-पान पर बारीकी से नजर रखी। इसमें पता चला कि जिन क्षेत्रों में जंगली सेब उपलब्ध हैं, वहां पक्षियों की अलग-अलग प्रजातियां अधिक संख्या में पहुंचीं।वन्यप्राणी विंग के अध्ययन में पता चला है कि किन्नौर जिला में जंगली सेब (क्रैब एप्पल) मॉल्स बेकाटा (वैज्ञानिक नाम) जिसे स्थानीय भाषा में गोंदली कहा जाता है, पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों के लिए सर्दियों का सबसे पसंदीदा भोजन बना है।
खास बात यह है कि स्थानीय लोग भी इसे शौक से खाते हैं। वन विभाग की दो टीमों ने यह अध्ययन किया जिनमें वन परिक्षेत्र अधिकारी रूप सिंह, गोपाल नेगी, ब्लॉक अधिकारी रक्षम संतोष ठाकुर और वन मित्र रक्षम अल्पना शामिल थे।अध्ययन में पता चला कि जब जंगली सेब थोड़ा कच्चा होता है तो कम संख्या में पक्षियों की प्रजातियां इसे खाने के लिए आती हैं। जैसे ही फल पक कर तैयार हो जाता है 20 से 25 पक्षियों की प्रजातियां हर रोज फल खाने के लिए इस पौधे पर आती हैं। पक्षियों की इस फल पर निर्भरता बर्ड डाइवर्सिटी के लिए बेहतरीन संकेत पाया गया है। जंगली सेब किन्नौर जिला में बहुतायत में पाया जाता है।
वन्यप्राणी प्रभाग सराहन के उप अरण्यपाल अशोक नेगी ने बताया कि संतोष ठाकुर और उनकी टीम द्वारा किया गया अध्ययन बेहद सराहनीय है। वन्यप्राणी प्रभाग समय समय पर इस तरह के अध्ययन करवाता रहता है ताकि वन्यप्राणियों की पौधों की प्रजातियों पर निर्भरता का आकलन किया जा सके और स्थानीय लोगों को इन पौधों की प्रजातियों को लेकर जागरूक किया जा सके।वन विभाग ने पक्षियों की प्रजातियों को आकर्षित करने में सहायक सिद्ध हो रहे जंगली सेब का जंगलों में पौधरोपण करने का भी फैसला लिया है। इसके लिए वन विभाग की नर्सरी में सीडलिंग पर पौधे तैयार किए जा रहे हैं। इन पौधों को जंगलों में लगाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक संख्या में पक्षियों के भोजन की व्यवस्था हो सके।


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