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राजा का तालाब में गूंजा हरि नाम, हरि संकीर्तन से भक्तों को कृष्णमय कर गए सिद्धांती महाराज

                                               तीन दिवसीय हिमाचल प्रवास में छह स्थानों पर हरि संकीर्तन

ज्वाली से राजेश कतनौरिया कि रिपोर्ट

बिकास खंड फतेहपुर के गांव राजा का तालाब शाम सुन्दर के निवास पर विश्व भर में  चैतन्य महाप्रभु जी के महामंत्र "हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे“ की लौ जगा रहे श्री चैतन्य गौडीय मठ चंडीगढ़ के महाराज बी.पी.सिद्धांती महाराज ने हिमाचल में अपने तीन दिन के प्रभास के दौरान छः स्थानों पर हरि संकीर्तन करके भक्तों को कृष्णमय बना दिया।उपरोक्त 16 अक्षर के महामंत्र के बारे में सिद्धांती महाराज ने बताया कि कलियुग के जीवों के लिए भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की दिव्य प्रेम-भक्ति का मार्ग  ही सर्वोपरि मार्ग है।

बताया कि जहाँ 'हरे' शब्द में राधा रानी को संबोधित करता है।वहीं 'कृष्ण' भगवान को पुकारते हैं।क्योंकि उक्त मंत्र इतना शक्तिशाली है कि बिना किसी विशेष योग्यता के भी फल देता है।उक्त मंत्र राधा और कृष्ण के शाश्वत प्रेम का सार है। जिसमें राधा रानी से प्रार्थना की जाती है। चैतन्य महाप्रभु इस मंत्र के माध्यम से राधा-कृष्ण के प्रेम-रूपी अमृत का आह्वान करते हैं। जिससे कलियुग के जीव भौतिक बंधनों से मुक्त होकर भगवत्-प्रेम प्राप्त कर सकता है। सिद्धांती महाराज ने बताया कि न जंगलों में ध्यान से, न यज्ञ से, न अर्चन पूजा से,कलियुग में केवल हरि संकीर्तन ही भगवान प्राप्ति का सबसे आसान तरीका है।

उन्होंने बताया कि देवता की पूजा से विभिन्न इच्छाओं की पूर्ति होती है।परन्तु परम परमेश्वर भगवान श्रीकृष्ण से निष्काम भक्ति(बस प्रभु मेरे घर, मेरे  हृदय में आ जाओ, यही मांगे ।बताया कि भीष्म पितामह, द्रोणाचार्य, कर्ण जो अजेय थे।उनके सहित सब मारे गए।परन्तु केवल पांच पांडव ही जिनके साथ श्रीकृष्ण थे।वो ही बचे रहे।इस अवसर पर परमहंस महाराज गोकुल मठ पठानकोट, योगेश्वर प्रभु वृन्दावन, मधु सूदन प्रभु चंडीगढ़, गुरुदास प्रभु, नंद नंदन प्रभु ने भी हरि संकीर्तन से सभी को भक्ति सागर में डुबोकर धन्य किया। 


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