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HP Assembly: विरोध के बीच सीजे की जगह सीएस को रेरा चयन समिति अध्यक्ष बनाने का विधेयक पारित

                                                    सरकार ने बहुमत के बल पर कराया बिल पास

धर्मशाला , ब्यूरो रिपोर्ट 

रेरा अध्यक्ष और सदस्यों की चयन समिति के अध्यक्ष के रूप में मुख्य न्यायाधीश के स्थान पर मुख्य सचिव को नामित करने के संशोधन विधेयक को बुधवार विपक्ष के भारी विरोध के बाद पारित कर दिया गया। चर्चा के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच खूब नोकझोंक हुई। मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भी आमने-सामने हुए। मुख्यमंत्री सुक्खू की जवाबी टिप्पणी के बीच विपक्ष ने सदन में हंगामा शुरू किया और नारेबाजी करता हुआ भाजपा विधायक दल सदन से बाहर चला गया। भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि यह जो केंद्र सरकार के एक्ट में संशोधन लेकर आए हैं, यह कैसे किया जा सकता है। मुख्य सचिव अगर आवेदक हो तो उसका सचिव स्तर का अधिकारी कैसे इंटरव्यू कर सकता है।

 इसे सरकार संशोधित नहीं कर सकती है।न्यायपालिका से टकराव सही नहीं। उन्हें नहीं पता कि किसके लिए यह एक्ट ला रहे हैं। भाजपा विधायक त्रिलोक जमवाल ने कहा कि इस प्रावधान के बाद सरकार किसी को भी अपने तरीके से नामित करेगी। यह संशोधन कानून संगत नहीं है। इधर, नगर नियोजन मंत्री राजेश धर्माणी ने कहा कि न्यायपालिका से टकराव की कोई बात नहीं है। वे न्यायपालिका का आदर करते हैं। हाईकोर्ट में मामले काफी होते हैं। यह कार्यपालिका का काम है। इसे इसी इरादे से लाए हैं। यहां पर कोई ईगो वाली बात नहीं है। राज्य सरकार के पास इस तरह से संशोधन लाने के अधिकार हैं। यह किसी व्यक्ति को नियुक्त करने के लिए नहीं किया गया है। अध्यक्ष की तरह सदस्य भी नियुक्त कर लिए गए हैं।

भाजपा के समय मुख्य सचिव रेरा के अध्यक्ष भी रहे हैं। विपक्ष व्यूरोक्रेसी पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने फिर कहा कि जिद्द किसी अच्छे काम लिए हो तो समझ आती है। जितने भी मुख्य सचिव होंगे, वे बहुत कम मामलों में ही रेरा अध्यक्ष एवं सदस्यों की चयन समिति के सदस्य होंगे। मुख्य सचिवों के लिए रेरा अध्यक्ष की खुद की नियुक्ति के लिए सबसे अच्छी जगह होगा। हाईकोर्ट के न्यायाधीश के बराबर सुविधाएं और इससे जुड़े आर्थिक लाभ ताउम्र मिलेंगे रहेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव इसके चेयरमैन होंगे, जो उचित नहीं है। न्यायपूर्ण निर्णय करना चाहिए। रेरा को सरकार किसी सरकारी विभाग की तरह चलाएगी। यह केंद्रीय एक्ट है। जयराम ठाकुर ने कहा कि यह ईगो से जुड़ा मामला है।मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि ये लोग नैतिकता का पाठ पढ़ाते हैं। तभी तो वह कहते हैं कि नेता प्रतिपक्ष तनाव में रहते हैं।

 उन्होंने अपने सलाहकार को भी रेरा अध्यक्ष लगाया था। एनडीपीएस और फैक्टरी एक्ट में भी भाजपा के समय में संशोधन आए। लोकतंत्र में सभी स्तंभों का अपना काम है। कार्यपालिका का कोई काम न्यायपालिका को दिया गया है तो उसे वापस लिया जा सकता है। मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव की निष्ठा पर सवाल उठाना गलता है। सीएम बोले कि सरकार ने नियुक्तियां नहीं करनी हैं। उन्होंने संविधान का प्रयोग किया। वे न्यायपालिका का सम्मान और आदर करते हैं।



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