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शिक्षक दिवस पर राज्यपाल ने 16 शिक्षकों को किया सम्मानित

 भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में उनकी जन्म जयंती देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है

शिमला,रिपोर्ट नीरज डोगरा 

शिक्षक दिवस के अवसर पर राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने आज राजभवन  में आयोजित राज्य स्तरीय समारोह में 14 शिक्षकों को राज्य पुरस्कार से और वर्ष 2022 के लिए दो शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया। इस अवसर पर लेडी गवर्नर जानकी शुक्ल ने सभी पुरस्कार विजेताओं को पौधे और चित्र भी भेंट किये।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति स्वर्गीय डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में उनकी जन्म जयंती देश भर में शिक्षक दिवस के रूप में मनाई जाती है। राज्यपाल ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को श्रद्धाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि वह एक ईमानदार व्यक्त्तिव, महान दार्शनिक, प्रख्यात शिक्षाविद् और सक्षम प्रशासक थे। उन्होंने कहा कि उनके विचार भारतीय संस्कृति से गहरे से जुड़े हुए हैं और भारतीय परंपरा से जुड़ी शिक्षा को देश में दोबारा लागू किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आगामी 25 वर्षों को अमृत काल कहा है। उन्होंने कहा कि इस अमृत काल में हमें किसी न किसी रूप में देश के विकास में योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक ही भावी पीढ़ी को राष्ट्र निर्माण में योगदान देने में सक्षम बना सकते हैं।

उन्होंने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि आज कई युवा नशे की गिरफ्त में हैं, जो देश के भविष्य के लिए चिंता का विषय है। नशे के विरूद्ध जन अभियान चलाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि स्कूलों, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों को नशे के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए और उनकी ऊर्जा को समाज निर्माण में लगाने में शिक्षक अहम भूमिका निभा सकते हैं।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा का आधार बच्चे को अच्छा इंसान बनाना होना चाहिए। बच्चों के समग्र विकास का उद्देश्य एक सुदृढ़ राष्ट्र का निर्माण करना है। इसलिए शिक्षकों का दायित्व है कि वे विद्यार्थियों को नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करें।

राज्यपाल ने कहा कि शिक्षण जिम्मेदारी से पूर्ण एक महान पेशा है। शिक्षकों के विचार, आचरण और चरित्र से विद्यार्थी प्रभावित होते हैं, इसलिए उन्हें निष्ठापूर्ण कत्तव्यों का पालन करना चाहिए।

उन्होंने पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए शिक्षक वर्ग को अधिक प्रतिबद्धता और समर्पण भावना के साथ कार्य करने आह्वान किया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने 34 वर्षों बाद देश में राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू की है। वर्तमान परिदृश्य में सभी को समग्र और सस्ती शिक्षा तथा कौशल विकास प्रदान करने वाली इस नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का कार्यान्वयन चुनौतीपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इसके व्यापक पहलुओं को समझना और इसका सफल कार्यान्वयन करने की जिम्मेदारी शिक्षकों की है।

इस अवसर पर राज्यपाल ने एक स्मारिका का विमोचन भी किया।

शिक्षा मंत्री रोहित ठाकुर ने राज्यपाल और लेडी गवर्नर का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा क्षेत्र के समग्र विकास के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का व्यक्त्वि व कृतत्व सभी के लिए प्रेरक है। उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन शिक्षा को समर्पित कर दिया और इस क्षेत्र को मजबूत करने के लिए काम किया।

उन्होंने सभी पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए कहा कि शिक्षा विभाग सरकार का सबसे बड़ा विभाग है और इसमें 83 हजार से अधिक शिक्षक कार्यरत हैं। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व विकास हुआ है। वर्ष 1947 में जहां राज्य की साक्षरता दर मात्र 8 प्रतिशत थी, जो आज बढ़कर 88 प्रतिशत से अधिक हो गयी है। आज प्रदेश में 140 महाविद्यालय हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश में स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों की संख्या में वृद्धि हुई है और राज्य के दूरदराज क्षेत्रों में भी स्कूल की सुविधा उपलब्ध है, जहां शिक्षक सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर विशेष ध्यान दे रही है तथा नये व्यवसायिक एवं रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रम आरम्भ किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के रिक्त पद भरे जा रहे हैं और स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने बजट प्रावधान के साथ चरणबद्ध तरीके से प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में एक राजीव गांधी राजकीय डे-बोर्डिंग स्कूल खोलने का निर्णय लिया है।

इससे पहले, मुख्य संसदीय सचिव, (शिक्षा) आशीष बुटेल ने राज्यपाल का स्वागत किया और कहा कि राष्ट्र निर्माण में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और समाज में शिक्षकों को एक विशेष दर्जा प्राप्त है। ऐसे में समाज के प्रति उनकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। उन्होंने कहा कि हिमाचल ने शिक्षा क्षेत्र में कई मील पत्थर हासिल किये हैं और देश का अग्रणी राज्य बनकर उभरा है, जिसका श्रेय शिक्षकों को भी जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों को प्रशिक्षण एवं आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करवा रही है। उन्होंने शिक्षकों को भावी पीढ़ी समक्ष आदर्श प्रस्तुत करने आहवान किया।प्रारंभिक शिक्षा निदेशक, घनश्याम चंद ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।




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