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विश्व धरोहर कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर जल्द ही पैनारमिक विस्ताडोम कोच की होगी शुरुआत

                                        सात पैनारमिक विस्ताडोम कोच तैयार, जल्द ही कालका पहुंचेंगे

सोलन , ब्यूरो रिपोर्ट 

पैनारमिक विस्ताडोम कोच जल्द ही कालका-शिमला रेलवे ट्रैक पर दौड़ते दिखाई देंगे, जो विश्व धरोहर है। कपूरथला रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) ने आधुनिक कोच बनाए हैं। सात कोच आरसीएफ पहले चरण में बनाए गए हैं। यह कोच जल्द ही कपूरथला से कालका पहुंचेंगे। आजकल इसके लिए प्रयास चल रहे हैं। 


कालका में स्टेशन निर्माण से कोच ट्रेन भेजने में बाधा आई है। अब सड़क कोच भेजने की योजना बनाई जा रही है। सभी कोच कालका रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद फिर से ट्रायल शुरू हो गए हैं। परीक्षा सफल होने पर यात्रियों को सुविधा दी जाएगी। रेल कोच फैक्टरी ने एसी और नॉन एसी बोगियों को बनाया है। इसमें रेस्तरां भी होगा। इसमें कई और नई सुविधाएं भी हैं। 


बागी में यात्रियों की सुरक्षा भी बढ़ा दी गई है। बीते वर्ष पैनारमिक विस्ताडोम के दो कोचों ने रेलवे बोर्ड से ट्रायल लिया था। यह कोच पहले खाली दौड़ा गया था। इसके बाद कुर्सी लगाकर चलाया गया था। रेल कोच फैक्टरी (आरसीएफ) के महाप्रबंधक और अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन आरडीएसओ टीम ने यह जांच की। टीम ने फिर रिपोर्ट दी। रिपोर्ट के अनुसार, कोच पूरी तरह सफल रहे और अगले कोच की तैयारी शुरू हुई। 


अब यह कोच भी तैयार हैं। इनके चलने के बाद सुंदर वादियों को और नजदीक से देख सकेंगे। नए कोच में टॉप रूफ की जगह किनारे पर बड़ी-बड़ी आकर्षक खिड़कियां होंगी। कोच के स्पीड ट्रायल में पिछले वर्ष भी सुधार हुआ था। यह कोच 28  की स्पीड में भी ठीक से चला। कोच को पहले 22.5 की गति पर चलाया गया था। इसके बाद स्पीड को बढ़ाकर देखा गया। 


यदि यह 28 पर चला तो भी काफी समय बचेगा। साथ ही पैनेरमिक बोगी एयर ब्रेक है। इससे दुर्घटनाओं की संख्या कम होगी। साथ ही पूरी बोगी एलईडी प्रकाश से भर जाएगी। कोच में विशाल खिड़कियां होंगी। 360 डिग्री घूमने वाली चेयर वहीं लगाई जाएगी। पहले चरण में चार कोच तैयार होंगे: दो एसी प्रीमियम, एक नान एसी और एक पावर एसी कोच। 

पैनोरमिक कोच की औसत लागत लगभग एक करोड़ रुपये है। एसी चेयरकार 24 सीटर, एसी कोच 12 सीटर और गैर एसी 30 सीटर होंगे। शक्तिशाली एसी कोच दूसरे कोच को प्रोत्साहित करेगा और उसमें केवल सुरक्षाकर्मी बैठेंगे। पुराने डिब्बों की तुलना में कोच में अधिक जगह होगी। कोच को भी फायर अलार्म मिलेगा।

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