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सेब के पेड़ों में पत्तों की वृद्धि और फूलों की कमी, बागवानों की चिंता

                        सेब के पेड़ों पर पत्ते अधिक और फूल कम होने से बागवान चिंतित हैं।

मंडी, ब्यूरो रिपोर्ट 

35 लाख सेब पेटी उत्पादन करने वाले मंडी जिला के लोअर और मिडल सेब बैल्ट में इस साल सेब बगीचों में पत्ते अधिक और फूल कम निकले हैं। हजारों सेब बागवान इसके बारे में चिंतित हैं। 


अप्रैल के नौ दिन बीत गए हैं, लेकिन करसोग, नाचन और सिराज में ऐसे कई बगीचे हैं जहां पिंक बड (गुलाबी कली) स्टेज भी शुरू नहीं हो सकी है। बागवानी विशेषज्ञों का मानना है कि इसका कारण चिलिंग आवर्स पूरा नहीं होना, पिछले वर्ष समय से पहले पतझड़ होना, पूर्व में अधिक फसल होना और सेब पौधों में पुराने स्परों का अधिक होना है।


 इस साल ठंड अप्रैल तक रहने से गुठलीदार फलों पर भी कम सेटिंग हुई है। वहीं, अधिकांश सेब बगीचों में फ्लावरिंग का भी बुरा प्रभाव पड़ा है। लेकिन बगीचों में पर्याप्त नमी भी है। करसोग, चुराग, पांगणा, चरखडी, शकोहर, रोहांडा, बाढु, कुटाहची, सरोआ, जबाल, फंग्यार, सलाहर, काढां, बगस्याड, थुनाग सहित कई सेब बगीचों में यह समस्या है।


 नाचन फल सब्जी उत्पादक संघ के उपाध्यक्ष प्रेम ठाकुर और सिराज फल सब्जी उत्पादक संघ के प्रधान चतर सिंह ठाकुर ने बताया कि इस बार कई बागवानों के बगीचों में फूल कम निकले हैं और पत्ते अधिक निकले हैं। बागवानों को मंडी जिला के अलावा ऊपरी शिमला और कुल्लू में भी यह समस्या है। 


उधर, उद्यान उपनिदेशक मंडी डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण बर्फबारी और चिलिंग आवर्स का नवंबर और दिसंबर के बजाय जनवरी और फरवरी में पूरा होना है। उनका कहना था कि अगर सेब बागवान विभाग को शिकायत करते हैं, तो विभाग अपनी टीम प्रभावित क्षेत्रों में भेजेगा। वहीं, बागवानी विशेषज्ञ डॉ एसपी भारद्वाज ने बताया कि बीते वर्ष समय पूर्व पतझड़ और पूर्व में अत्यधिक फसल इस समस्या का कारण है। कहा कि ग्लोबल वार्मिंग ने बागवानी भी प्रभावित की है।

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