गैर-जमानती मामले की कार्यवाही को रद्द करने का उच्च न्यायालयों के पास अधिकार'
शिमला,ब्यूरो रिपोर्ट
हाईकोर्ट ने आईपीसी की धारा 326 के तहत दायर एफआईआर को समझौते के आधार पर रद्द करने को लेकर महत्वपूर्ण आदेश दिया है।
इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालयों के पास गैर-जमानती मामले की कार्यवाही को रद्द करने का अधिकार है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और सुशील कुकरेजा की खंडपीठ ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से पारित फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि उच्च न्यायालयों के पास ऐसी कार्यवाही को रद्द करने का अधिकार है, भले ही अपराध गैर-जमानतीय हो।
खंडपीठ ने शीर्ष अदालत के विशेष रूप से ज्ञान सिंह बनाम पंजाब राज्य 2012 और नरेंद्र सिंह बनाम पंजाब राज्य 2014 में दिए निर्णयों का हवाला दिया। खंडपीठ ने कहा कि जब सर्वोच्च न्यायालय का इस विषय पर कोई आधिकारिक फैसला आ जाता है, तो वह सभी अदालतों पर बाध्यकारी होता है। ऐसे में किशोर कुमार बनाम हिमाचल प्रदेश 2013 मामले में एकल न्यायाधीश द्वारा दिया विपरीत दृष्टिकोण अब मान्य नहीं है। यह निर्णय न्यायपालिका में स्थिरता और समानता सुनिश्चित करता है।
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