गेहूं की कटाई और मौसम के बदलाव से आये काफी मरीज़
काँगड़ा,रिपोर्ट नेहा धीमान
गेहूं की फसल की कटाई के चलते जिला कांगड़ा में चर्म एलर्जी और दमा के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। कांगड़ा अस्पताल में ओपीडी में इन मामलों से संबंधी रोजाना लगभग 10 मामले सामने आ रहे हैं।
सिविल अस्पताल कांगड़ा की एमडी मेडिसिन डॉ. मोनिका राज ने बताया कि एलर्जी और दमा की समस्या गेहूं की कटाई से उड़ने वाले छोटे-छोटे धूल के कणों से होती है। ये कण रोगी के फेफड़ों में जमा हो जाते हैं और जिस कारण मरीज को सांस लेने में परेशानी होती है। अगर किसी मरीज को अस्थमा और एलर्जी की अधिक समस्या हो, ताे उसे नजदीकी अस्पताल में जाकर संबंधित डॉक्टर को दिखा कर दवाई लेनी चाहिए, ताकि समस्या अधिक न बढ़े।
गेहूं की थ्रेसिंग के दौरान एलर्जी और दमा के कारण मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती के साथ सीने में जकड़न जैसा महसूस हो, तेजी से सांस लेने पर पसीना आना, बेचैनी महसूस होना, सिर भारी-भारी रहना और जोर से सांस लेने के कारण थकावट आदि का महसूस होना।एमडी मेडिसिन डॉ. मोनिका राज के अनुसार एलर्जी और अस्थमा से ग्रसित मरीजों को गेहूं की कटाई और मौसम के बदलाव से पहले ही अपनी जांच करवाकर दवाइयां इत्यादि लेनी चाहिए और जहां पर गेहूं कटाई और धूल वाला कार्य चल रहा हो, वहां पर मास्क लगाकर ही जाना चाहिए जाना चाहिए, ताकि उड़ने वाली धूल का प्रभाव कम हो सके।
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